सुल्तानपुर संवाददाता बाबा संदीप श्रीवास्तव
सुल्तानपुर । जनपद में मा0 राज्य सूचना आयुक्त, उ0प्र0 लखनऊ वीरेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में नवीन कलेक्ट्रेट सभागार में जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जनपद सुलतानपुर में लंबित शिकायतों/अपीलों के सम्बन्ध में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों/जन सूचना अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गयी।
उक्त बैठक में सभी संबंधित विभाग के अधिकारियों से सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के अन्तर्गत लम्बित वादों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण हेतु विस्तृत चर्चा की गयी। मा0 राज्य सूचना आयुक्त महोदय का मुख्य राजस्व अधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया गया
। उक्त बैठक का संचालन शैलेन्द्र चौहान द्वारा मा0 राज्य सूचना आयुक्त के परिचय से प्रारम्भ किया गया। उन्होंने मा0 राज्य सूचना आयुक्त महोदय का परिचय देते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने जन सूचना अधिकार अधिनियम के महत्व एवं विभिन्न धाराओं के तहत की जाने वाली कार्यवाही के सम्बन्ध में उपस्थित अधिकारियों को अवगत कराया।
उन्होंने विभिन्न विभागों के लंबित प्रकरणों जैसे- ग्राम विकास विभाग के लंबित-20 प्रकरण, पंचायती राज विभाग के 11, गृह विभाग के 06, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के 05, बेसिक शिक्षा विभाग के 06 जैसे प्रकरणों के सम्बन्ध में सभी संबंधित अधिकारियों को निस्तारण हेतु अवगत कराया गया है।
मा0 राज्य सूचना आयुक्त द्वारा सभी संबंधित अधिकारियों/जन सूचना अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत आम नागरिकों द्वारा चाही गयी सूचना को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध करायें। उन्होंने आर.टी.आई. अधिनियम के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने सभी सम्बन्धित अधिकारियों/जन सूचना अधिकारियों को अवगत कराया कि निम्नलिखित परिस्थितियों में सूचना का प्रकटीकरण नहीं किया जाना हैः-
- ऐसी जानकारी जिसके प्रकटन से भारत की संप्रभुता, अखण्डता, राष्ट्र की सुरक्षा, सामरिक, वैज्ञानिक और आर्थिक हित तथा विदेश के साथ सम्बन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो अथवा किसी अपराध को करने की प्रेरणा मिलती हो।
- ऐसी जानकारी जिसके प्रकटन से विधान मण्डल के विशेषाधिकार की अवहेलना होती है।
- अधिनियम की धारा-8 की उपधारा (1) के खण्ड (झ) के प्रावधान में दी गई शर्तों के अधीन मंत्री परिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श सहित मंत्रिमंडलीय दस्तावेज नहीं दिए जायेंगे।
- तृतीय पक्ष की सूचना नहीं दी जायेगी। किसी व्यक्ति की निजी जानकारी आर.टी.आई. के अन्तर्गत नहीं दी जायेगी।
- सूचना इतनी विस्तृत नहीं होनी चाहिये कि उसे जुटाने में कार्यालय का सामान्य कामकाज ठप हो जाय। 500 शब्दों का सूचना आवेदन विस्तृत कहकर निरस्त किया जा सकता है।
- कोई आरटीआई कार्यकर्ता यदि बड़ी संख्या में सूचना आवेदन देता है, तो आप सूचना आयोग को पत्र लिख कर दे सकते हैं कि उनके इस तरह सूचना मॉगने से कार्यालय का काम प्रभावित हो रहा है।
- जन सूचना अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह सूचना मांगने वाले व्यक्तियों को युक्तियुक्त सहायता प्रदान करें। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सूचना प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्ति से अपेक्षित है कि वह अंग्रेजी अथवा हिंदी भाषा में लिखित अपना निवेदन प्रस्तुत करें। यदि कोई लिखित रूप से आवेदन देने में असमर्थ है, तो जन सूचना अधिकारी से अपेक्षा की जाती है कि वह ऐसे व्यक्ति को लिखित रूप में आवेदन तैयार करने में युक्तियुक्त सहायता करेगा।
- उन्होंने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों से जन सूचना के तहत मांगी गई सूचना के लंबित प्रकरणों के बारे में जानकारी प्राप्त की गयी। सभी संबंधित अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि ऑनलाइन लंबित प्रकरण शून्य है। उपभोक्ताओं द्वारा ऑफलाइन चाही गयी सूचनाओं का प्रेषण ससमय कर दिया जाता है। मा0 राज्य सूचना आयुक्त महोदय द्वारा सभी संबंधित विभागों की प्रगति समीक्षा की गयी।
- वही समीक्षा बैठक के अन्त में राज्य सूचना आयुक्त महोदय द्वारा बिजेथुआ महाबीरन धाम के पर्यटन विकास के सम्बन्ध में सम्बन्धित अधिकारी से जानकारी प्राप्त की गयी।उन्होंने बिजेथुआ महाबीरन धाम के पर्यटन विकास से सम्बन्धित प्रस्ताव राज्य सरकार को शीघ्रतिशीघ प्रेषित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जनहित और विकास के मुद्दे पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी इस अवसर पर मुख्य राजस्व अधिकारी बाबू राम, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम लम्भुआ गामिनी सिंगला, उपजिलाधिकारी/कनिष्ठ सूचना अधिकारी प्रीती जैन सहित समस्त जनपद स्तरीय अधिकारी/जन सूचना अधिकारीगण उपस्थित रहे।







