संवाददाता हरिओम द्विवेदी कानपुर | नेत्र-चिकित्सा सोसायटी का दो दिवसीय वार्षिक अधिवेशन मोती झील स्थित स्वरूप नगर एक निजी होटल में शनिवार को प्रथम दिन का भव्य रूप से प्रारंभ हुआ। यह दो दिवसीय अधिवेशन के प्रथम दिन डॉ. मनीष महेन्द्रा की अध्यक्षता तथा सचिव मोहित खत्री के संचालन में संपन्न हो रहा है।
अधिवेशन में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त नेत्र विशेषज्ञों ने आंखों की बीमारियों के बेहतर उपचार व आधुनिक तकनीकों पर विस्तृत जानकारी साझा की।
पूर्व अध्यक्ष सर्वभारतीय नेत्र-चिकित्सा सोसायटी (ए.आई.ओ.एस.) डॉ.डी.रामामूर्ति, अध्यक्ष अकादमिक अनुसंधान परिषद (ए.आर.सी.) डॉ.प्रशांत बावनकुले,डॉ.कस्तूरी भट्टाचार्या (गुवाहाटी), डॉ.रश्मिन गांधी (हैदराबाद), डॉ.सुनिता दुबे और डॉ. दिनेश तलवार (दिल्ली) प्रमुख वक्ता रहे। वहीं डॉ.सुहास हल्दीपुरकार ने मोतियाबिंद शल्यक्रिया की गूढ़ तकनीकों पर प्रकाश डाला।
न्यायालय सत्र में विभिन्न औषधियों व तकनीकों पर गहन बहस हुई और श्रेष्ठ उपचार पद्धति को लेकर सुझाव प्रस्तुत किए गए। गुरुमंत्र सत्र में आंखों की रोग-पहचान (डायग्नोसिस) पर विशेष विस्तृत चर्चा की गई।
शाम के अंतरराष्ट्रीय परिचर्चा में टोरंटो (कनाडा) से आए डॉ.राजीव मोनी ने गैस विधि द्वारा रेटिना शल्यक्रिया (प्न्यूमैटिक रेटिनोपेक्सी) की आधुनिक पद्धति समझाई। वहीं डॉ. आईक अहमद ने पुतली (आईरिस) शल्यक्रिया पर जानकारी दी।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. शरद बाजपेई, डॉ. शालिनी मोहन, डॉ. संगीता शुक्ला,डॉ. मलय चतुर्वेदी, डॉ. ए.एम. जैन,डॉ.आर.सी. गुप्ता, डॉ. आकाश, डॉ. आकांक्षा, डॉ. अंशुमन अग्रवाल सहित कई नेत्र विशेषज्ञ मौजूद रहे।