मोहनलालगंज लखनऊ । वकालत पेशे में अनुशासन और आचरण की मर्यादा को सख्ती से लागू करते हुए बार काउंसिल उत्तर प्रदेश ने लखनऊ के अधिवक्ता सुशील कुमार पर कड़ी कार्रवाई की है। काउंसिल ने उन्हें 10 वर्षों के लिए निलंबित करते हुए पूरे देश में वकालत करने से रोक दिया है।
बार काउंसिल के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि निलंबन अवधि के दौरान अधिवक्ता सुशील कुमार न तो भारत के किसी भी न्यायालय में, न किसी प्राधिकरण के समक्ष और न ही किसी व्यक्ति के लिए वकालत का कार्य कर सकेंगे। आदेश की प्रमाणित प्रति माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश लखनऊ, लखनऊ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और शिकायत के दोनों पक्षों को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।आदेश में अधिवक्ता की पहचान सुशील कुमार रावत पुत्र श्री राम, निवासी कल्ली पश्चिम, थाना पीजीआई, लखनऊ, नामांकन संख्या UP 05802/2016 के रूप में दी गई है। वह फिलहाल जिला लखनऊ बार में सक्रिय रूप से कार्यरत थे।

यह मामला अधिवक्ता की पत्नी की शिकायत पर शुरू हुआ। शिकायत में पत्नी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सुशील कुमार ने एक के बाद एक तीन शादियां कीं। आरोप है कि हर बार शादी के बाद पत्नी को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और अंत में मारपीट कर घर से निकाल दिया गया।शिकायतकर्ता के अनुसार, यह केवल घरेलू विवाद नहीं बल्कि सुनियोजित ढंग से किए गए धोखे और हिंसा के मामले हैं।
बताया गया कि तीनों पत्नियों ने अलग-अलग समय पर अधिवक्ता के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, मारपीट, और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में थाना पीजीआई में मुकदमे दर्ज कराए हैं।बार काउंसिल ने मामले की गंभीरता और अधिवक्ता आचरण संहिता के उल्लंघन को देखते हुए यह सख्त कदम उठाया। काउंसिल के सूत्रों के अनुसार, यह फैसला वकालत पेशे में गरिमा और अनुशासन बनाए रखने के लिए एक मिसाल के तौर पर लिया गया है।
एक वरिष्ठ वकील ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, बार काउंसिल का यह निर्णय उन सभी अधिवक्ताओं के लिए चेतावनी है जो अपने पेशेवर और व्यक्तिगत आचरण में मर्यादा का पालन नहीं करते।कानूनी जानकारों का मानना है कि यह आदेश न केवल आरोपी अधिवक्ता के लिए, बल्कि पूरे वकालत समुदाय के लिए एक सख्त संदेश है कि वकालत की गरिमा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा और पेशेवर नैतिकता का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी।






