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समोसे, चाय और जुर्म: सोनी सब पर डिटेक्टिव एकेन बाबू के केसेस को कहां से मिलती है ऊर्जा – अनिर्बान चक्रबर्ती ने किया खुलासा

जासूस की सफलता के पीछे एक बेहद ज़रूरी और थोड़ा अनोखा राज़ छिपा है: उसका फूड रूटीन

EDITED BY: DAT BUREAU

UPDATED: Wednesday, November 19, 2025

Samosas, Chai and Crime: Anirban Chakraborty reveals what fuels Detective Eken Babu's cases on Sony SAB

आयुष गुप्ता संवाददाता मुंबई: सोनी सब अपने दर्शकों के लिए भारत के सबसे अनोखे जासूसों में से एक को पेश करने जा रहा है—एकेन बाबू—जिसका हिंदी डेब्यू अब होने वाला है। अनिर्बान चक्रबर्ती के आइकॉनिक अभिनय से सजा यह किरदार अपनी तेज़ फोकस और विश्लेषणात्मक क्षमता के लिए जाना जाता है, लेकिन अनिर्बान बताते हैं कि जासूस की सफलता के पीछे एक बेहद ज़रूरी और थोड़ा अनोखा राज़ छिपा है: उसका फूड रूटीन।

अनिर्बान चक्रवर्ती बताते हैं कि जासूसी के दौरान एकेन बाबू की गहरी एकाग्रता बनाए रखने के लिए उन्हें स्वादिष्ट खाने का सहारा लेना पड़ता है। उनकी खाने की आदतें उनके काम करने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। आजकल के मॉडर्न जासूसों की तरह वे न तो फैंसी कॉफी पीते हैं और न ही पावर ड्रिंक्स… उनका दिमाग तो समोसे मांगता है!

खाना उनके लिए सिर्फ स्वाद का मामला नहीं है—यह एक तेज़, सुकून देने वाला ब्रेक है, जो उनके दिमाग को भारी-भरकम विचारों से कुछ पल दूर कर देता है और फिर से अगले सबूत पर फोकस करने के लिए रीसेट कर देता है। किसी भी लंबी जांच के दौरान एकेन बाबू को कम से कम तीन कप जबरदस्त, कड़क चाय चाहिए ही चाहिए। यह चाय ब्रेक उनके दिमाग को शांत पल देता है, जहाँ अक्सर अनदेखे क्लू आपस में जुड़ जाते हैं। किसी केस पर काम करते समय वे अक्सर क्लासिक बंगाली कम्फर्ट फूड पर निर्भर रहते हैं। यह उन्हें एक तरह की स्थिरता देता है, जबकि उनके आसपास की दुनिया रहस्यों और अफरातफरी से भरी होती है।

अपने किरदार की खान-पान वाली आदतों के बारे में अनिर्बान चक्रबर्ती कहते हैं, “एकेन बाबू बेहद फोकस्ड है, लेकिन उतनी ही आसानी से ध्यान भटक भी जाता है। मुझे महसूस हुआ कि उनके दिमाग को उस गति से चलाने के लिए लगातार खाने का सप्लाई ज़रूरी है। मैं अक्सर मज़ाक करता हूँ कि अगर एकेन बाबू ने एक भी खाना या शाम का नाश्ता छोड़ दिया, तो केस वहीं अटक जाएगा! समोसे और चाय सिर्फ स्नैक नहीं हैं—ये वो टूल हैं जो उसे रुककर सोचने, समझने और आखिरकार उसी जगह छुपे जीनियस सॉल्यूशन तक पहुंचने में मदद करते हैं जहाँ वह सबसे कम दिखाई देता है।”

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