आयुष गुप्ता संवाददाता मुंबई : सोनी सब का शो ‘गाथा शिव परिवार की – गणेश कार्तिकेय’ भगवान शिव और उनके दिव्य परिवार का एक अलौकिक लेकिन बेहद संवेदनशील चित्रण प्रस्तुत करता है। यह शो दर्शकों को भगवान शिव (मोहित मलिक), देवी पार्वती (श्रेनु पारिख) और उनके पुत्र भगवान गणेश (एकांश कठरोतिया) व भगवान कार्तिकेय (सुभान खान) की कम जानी गई कहानियों की झलक दिखाता है — जिसमें पौराणिकता, दर्शन और भावनाओं का सुंदर संगम है।
शो की भव्यता के बीच इसकी असली खूबसूरती शिव परिवार के भावनात्मक बंधनों, पारिवारिक मूल्यों और जीवन-संतुलन जैसे क्षणों में है जो आम जीवन से मेल खाते हैं। इस खास बातचीत में मोहित मलिक ने भगवान शिव के किरदार को निभाने की अपनी यात्रा साझा की — जिसमें उन्होंने दिव्यता और मानवीयता के बीच संतुलन साधा, अपनी तैयारी और शूटिंग अनुभवों के बारे में बात की, और बताया कि दर्शक आगे के ट्रैक में क्या देख सकते हैं।
- शो में भगवान शिव को केवल देवता के रूप में नहीं, बल्कि एक पति और पिता के रूप में भी दिखाया गया है। आपने दिव्य व्यक्तित्व और एक आम पारिवारिक व्यक्ति के बीच संतुलन कैसे बनाया?
यह संतुलन निभाना मेरे लिए सबसे रोचक हिस्सा था। मैं दिखाना चाहता था कि भगवान शिव की शांति और दिव्यता “अलगाव” से नहीं, बल्कि “जागरूकता” से आती है। एक पति और पिता के रूप में वे अपने परिवार के साथ पूरी तरह उपस्थित रहते हैं, धैर्यवान हैं, लेकिन हमेशा एक बड़े उद्देश्य से जुड़े रहते हैं। इसलिए उनका आभामंडल दिव्य है, पर भावनाएँ बेहद मानवीय हैं। यही मिश्रण उन्हें सब से जुड़ने योग्य बनाता है। - यह आपकी ओर से निभाया गया पहला पौराणिक किरदार है — अब तक निभाए गए आधुनिक किरदारों से यह अनुभव कितना अलग रहा?
यह पूरी तरह अलग अनुभव है। आधुनिक किरदार बाहरी परिस्थितियों से प्रेरित होते हैं, जबकि पौराणिक किरदार भीतर की यात्रा मांगते हैं। संवाद शैली, देहभाषा, यहाँ तक कि मौन का भी अर्थ होता है। मुझे बहुत कुछ “अनलर्न” करना पड़ा और हर दृश्य को आध्यात्मिक अनुशासन और स्थिरता के साथ निभाना पड़ा। यह अनुभव बहुत विनम्र करने वाला रहा। - इतने शांत लेकिन शक्तिशाली देवता को पर्दे पर जीवंत करने के लिए कैसी तैयारी करनी पड़ी?
बहुत सारी आंतरिक तैयारी की ज़रूरत थी। मैंने भगवान शिव पर आधारित कई ग्रंथ, कथाएँ और आधुनिक व्याख्याएँ पढ़ीं और देखीं। लेकिन बाद में महसूस हुआ कि “शांति” को अभिनय से नहीं जताया जा सकता — उसे महसूस करना पड़ता है। मैंने हर शूट से पहले ध्यान लगाना शुरू किया ताकि खुद को केंद्रित रख सकूं। भगवान शिव की शक्ति उनके संयम में है, इसलिए मैंने भव्यता से अधिक “स्थिरता” पर ध्यान दिया।





