
आयशा और उमर गौतम का खुलासाः यूपी में इस्लामिक स्टेट की बड़ी साजिश नाकाम
हर गिरोह में मिले विदेशी फंडिंग के तार, सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से बचा हिंदुत्व और देश।
कई गिरोहों की गतिविधियों में विदेशी फंडिंग का पर्दाफाश, सुरक्षा एजेंसियों की तत्परता से टली बड़ी साजिश।
दैनिक अयोध्या टाइम्स
संवाददाता। हरिओम द्विवेदी ।
एनआईए और सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिली है। एक महिला, आयशा,जो दिखने में सामान्य थी, दरअसल उत्तर प्रदेश को इस्लामिक स्टेट जैसे कट्टरपंथी ढांचे में बदलने की योजना का हिस्सा थी। उत्तर प्रदेश के आगरा और अलीगढ़ जैसे राज्यों में सक्रिय थे आयशा के गुर्गे। जांच में सामने आया है कि उसके तार देशविरोधी संगठनों से जुड़े हैं और विदेशी फंडिंग के जरिए कई गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की जा रही थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आयशा द्वारा युवाओं को उकसाने,कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और आतंकवाद के लिए मानसिक रूप से तैयार करने जैसे गंभीर प्रयास चल रहे थी। एनआईए और इंटेलिजेंस विंग ने समय रहते कार्रवाई कर इस गहरी साजिश को विफल कर दिया।

विशेषज्ञों का मानना है कि कई गिरोह इस प्रकार की रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिनमें विदेशों से फंडिंग आ रही है। इस विषय पर कानपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने न्यूज प्लस चैनल पर चर्चा के दौरान बताया कि “यह न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि हमारी संस्कृति पर भी सीधा हमला है।”
अब इस मामले की जांच गहराई से की जा रही है और अन्य संभावित संदिग्धों को चिन्हित किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश को अस्थिर करने और इस्लामिक स्टेट की तर्ज पर कट्टरपंथी नेटवर्क तैयार करने की गहरी साजिश को सुरक्षा एजेंसियों ने समय रहते विफल कर दिया है।
जांच एजेंसियों के अनुसार एक महिला आयशा के जरिए कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने, युवाओं को भड़काने और विदेशी फंडिंग के जरिए देशविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही थी।
एनआईए और इंटेलिजेंस विंग की संयुक्त कार्रवाई में आयशा से जुड़े कई डिजिटल साक्ष्य और विदेशी बैंक ट्रांजैक्शन सामने आए हैं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह कोई व्यक्तिगत प्रयास नहीं, बल्कि सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा था।
ष्यह घटना न केवल सुरक्षा के लिए चुनौती है बल्कि समाज की बुनियादी एकता के लिए खतरा है। हमें युवाओं को डिजिटल रेडिकलाइजेशन से बचाना होगा।
देखिए, यह कोई सामान्य आपराधिक घटना नहीं है। यह पूरी तरह से एक सुनियोजित राष्ट्रविरोधी साजिश है, जिसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश जैसे संवेदनशील राज्य को अस्थिर करना और देश की सांप्रदायिक सौहार्द्र की भावना को खंडित करना है।
जब हम बात करते हैं कि कोई महिला कृ जैसे कि इस मामले में आयशा कृ विदेशी फंडिंग लेकर युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने का प्रयास कर रही है, तो यह एक बहुत ही गंभीर खतरे का संकेत है। यह न सिर्फ एक व्यक्ति या गिरोह की करतूत है, बल्कि इसके पीछे एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और मानसिकता काम कर रही है, जो भारत के संविधान, उसकी लोकतांत्रिक संरचना और सामाजिक समरसता को कमजोर करना चाहता है।
भारत जैसे विविधता भरे देश में अगर इस्लामिक स्टेट जैसे खतरनाक विचारधाराएं पनपने लगें, तो यह हमारी व्यवस्था, हमारी शिक्षा, और हमारी समाजिक चेतना पर सीधा हमला है। हमें समझना होगा कि यह विचारधारा किसी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करती, बल्कि यह धर्म के नाम पर हिंसा और नफरत फैलाने की एक कुत्सित कोशिश है।
मैं यह स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि आज आवश्यकता है कि शिक्षण संस्थान, सामाजिक संगठन और मीडिया मिलकर इस तरह की मानसिकता के खिलाफ जन-जागरूकता फैलाएं।
यदि हम अब भी सचेत नहीं हुए, तो यह धीमा जहर हमारे युवाओं के विचारों को दूषित कर देगा। हम सबकी साझा जिम्मेदारी है कि हम धर्म के नाम पर होने वाली ऐसी साजिशों को पहचानें, उनका विरोध करें और कानून के अनुसार सख्त कार्यवाही सुनिश्चित कराएं। प्रोफेसर डॉ. राकेश शुक्ला (कानपुर यूनिवर्सिटी)ः
प्रोफेसर ए.बी. जायसवाल (प्रोफेसर, विधि विभाग,वीएसएसडी कॉलेज, कानपुर)ः
भारत के संविधान में हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन उसका प्रयोग देशविरोधी कार्यों के लिए नहीं किया जा सकता। यह कानून का गंभीर उल्लंघन है।
ऽ जो धर्म परिवर्तन है वह सिर्फ सामाजिक ताना-बाना को ही नहीं वह बिल्कुल आर्थिक गतिविधि को इस देश के लोक चेतन को प्रभावित कर रहा। और किसी भी समाज को सतत चलने के लिए उसका लोकचेतना बहुत आवश्यक है बिना लोक चेतना के कोई भी समाज लंबे समय तक सरवाइव नहीं कर सकते है। और जैसे ही किसी का धर्मांतरण हो जाता है वह अपने सभी प्रणाली से कट जाता है जो भारतीय ज्ञान परंपरा है वह उसे कट जाएगा जो भारतीय संस्कृति के मूल तत्व है वह उसे कट जाएगा जो भारतीय आदर्श है वह उसे कट जाएगा और उसका सारा फोकस इन सारी चीजों की जगह दूसरे जगह हो जाएगा। जो ये धर्म परिवर्तन के गिरोह है न सिर्फ सामाजिक ताना-बाना को नष्ट कर रहे हैं बल्कि जो आर्थिक गतिविधि में जो विश्वास है उसे विश्वास को भी तोड़ रहे हैं लखनऊ लुलु मॉल का उदाहरण ले लीजिए जहां आर्थिक गतिविधि में शामिल करके किस प्रकार एक लड़की का धर्म परिवर्तन के लिए विवश किया गया।
एक सवाल में—
जरबरन और धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन करना अपराध मान लिया जाए के सवाल के जवाब में प्रोफेसर जायसवाल ने बहुत सुंदर और विधि के हिसाब से जवाब दिया ?
भारत में बहुत सारे राज्यों में लगभग 12 राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून और सभी ने जबरन और धोखेधड़ी से जबरन और धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को (क्रिमिनलाइस) अपराध आपराधिक गतिविधि धोखाधडी से धर्म परिवर्तन किया जा रहा है इसको क्रिमिनल एक्टिविटी माना गया है लेकिन बहुत सारे राज्यों के कानून में गंभीर अपराधिक गतिविधियां नहीं माना है चूंकि . क्योंकि धर्म परिवर्तन संबंधी कानून धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के नाम से बनाए गए थे जो इसके उद्देश्य को भटकने के लिए प्रयोग होता था।
भारत में सबसे पहला कानून जो बना 1967 में उड़ीसा में बना इससे आप गंभीरता समझ सकते है 1968 में मध्य प्रदेश में बना और मध्य प्रदेश में अनिवार्य मध्य प्रदेश सरकार ने की अगर आपको धर्म परिवर्तन करना है तो आपको 60 दिन पहले वहां के जिला अधिकारी को बताना पड़ेगा। जो धर्म परिवर्तन करा रहा है कर रहा है उसे भी बताना पड़ेगा 30 दिन के अन्तराल में किस व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है और बिना सूचना के कोई भी धर्म परिवर्तन हो रहा है तो वह गैर कानूनी होगा। और अगर यह महिला नाबालिक अनुसूचित जाति जनजाति का धर्म परिवर्तन हो रहा है तो ये गंभीर अपराध है जनजाति का हो रहा है तो अत्यंत गंभीर अपराध है एससी-एसटी एक्ट है तो और उसके लिए ज्यादा सजा का प्रावधान लगभग 10 साल का कैद एवं जुर्माना का प्रावधान है। इसे समझना होगा।
2021 में उत्तर प्रदेश में कानून की विशेषता यह है वह धार्मिक सम परिवर्तन
अधिनियम के नाम से कानून बनाया उत्तर प्रदेश में पूर्व में बने धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम नाम के उपयोग करने की जगह धार्मिक सम परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम नाम का उपयोग किया ताकि विधि का उद्देश्य स्पष्ट रूप से सभी के समझ में आ जाए
धर्म परिवर्तन कर रहे हैं तो आपको खुल्लम-खुल्ला करना पड़ेगा जैसे आप विवाह करते हैं आप चाहते हैं रजिस्ट्रेशन के अधिकारी को बताते अगर आप धर्म परिवर्तन कर रहे हैं तो पहले बताना पड़ेगा और वह जो धर्म परिवर्तन करा रहा है उसे भी बताना पड़ेगा कि मैं इनका धर्म परिवर्तन कर रहा हूं मैं मौलवी हूं मैं पादरी हूं और उसके बाद वह स्वरू इच्छा से धर्म परिवर्तन कर सकेग
इसके लिए आपको समझाना पड़ेगा कि जो इब्राहिम की प्रणाली है जैसे हमारा एक भारतीय प्रणाली है मे
दुनिया में ष्इब्राहिम प्रणालीष् है जो एक ईश्वर वाद पर विश्वास रहता है उसमें इस्लाम भी है यहूदी भी है और किसी भी दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर सकते साम दाम दंड भेद उनको अपने में लाना है पश्चिम एशिया का अगर पूरा संघर्ष देखे संघर्ष इसके लिए धार्मिक मोटिवेशन है दूसरा वह जो भारत में धर्म परिवर्तन है बिजनेस मॉडल है इसमें लगातार लोग धन का निवेश कर रहे हैं काफिर के साथ किसी भी तरह का व्यवहार किया जा सकता है।
चाहे छांगुर का गिरोह हो चाहे उत्तराखंड का गिरोह हो। चाहे लव जिहाद का केस क्यों ना हो
एक उसका दृष्टिकोण है दूसरा दृष्टिकोण और उनका यह है कि जो उनका एक पवित्र कर्तव्य है कि दुनिया में इस्लाम का परचम फहराने का पवित्र धार्मिक कर्तव्य है अब को सीधी शादी सनातनी कन्याएं क्यों प्रभावित होती हैं और हम इसे चिन्हित क्यों नहीं कर पाते हैं
क्योंकि हम कई ईश्वर बाद में विश्वास करते हैं हमारी पसंद पार्वती जी के साथ शिव पूजा कर लिया अगर विश्वनाथ जी वाला पसंद है तो उनकी पूजा करनी अगर दुर्गा जी का पूजन कर ले और काली जी का पूजन कर ले और यदि नहीं पसंद है तो हम किसी का नहीं करे कोई बात नहीं कर सकते। हमारे पास ऑप्शन है विकल्प के रूप में हम इन्हें भी रखते हैं यही प्रभाव बौद्ध और जैन धर्म के साथ भी रहा। बौद्ध धर्म में परिवर्तन हुआ जैन धर्म में परिवर्तन हुआ लेकिन उससे परिवर्तन से इस समाज का कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि समाज का संस्कृति समाज कोई परिवर्तन नही हुआ। जैसे हमारी दार्शनिक प्रणाली है मेरी वेद प्रणाली है कोई भी आप अपना सकते हैं कोई भी 5 ईश्वर वाद में आप मान सकते हैं इससे आपसे कोई विद्वेष नहीं करेगा। आप मानने के लिए स्वतंत्रता है उसके माध्यम से ईश्वर तक जा सकता है और उसके आधार पर हुई है और यही प्रणाली सनातन संस्कृति से बौद्ध और जैन में गई वहां दो भागों में जैन धर्म बट गया इस तरह से बौद्ध धर्म बट गया इसको लेकर कोई संघर्ष नही है।
कन्वर्ट करने का जबर्दस्ती का कारण नहीं है धार्मिक मोटिवेशन है वही इस्लामी धर्म परिवर्तन में मोटिवेशन के साथ जो फंडिंग है वह बिजनेस मॉडल है।
छांगुर बाबा ने कितना बड़ा साम्राज्य खड़ा करा है वह अपना धर्म परिवर्तन करता है उसे पैसा आता है उसे वह अपनी बिल्डिंग बनता है वह अपना कॉलेज बनाकर अपना बिजनेस खड़ा करके सिस्टमैटिकली तरीके से अपना काम कर रहा है। यह सिस्टमैटिक है और जब तक यह समझ नहीं समझेगा कि यह सिस्टमैटिक ब्रेनवाश हुआ है
इसको काउंटर करना बहुत मुश्किल है उन्होंने एक एग्जांपल दिया कि, जब से यह कानून बना और कहने वाले की यह व्यक्ति का चॉइस अधिकार है कुछ बुद्धिजीवियों और यूनिवर्सिटी के बड़े-बड़े लोग हैं यह सारी दुनिया अलग-अलग देशों से स्कॉलरशिप प्राप्त करते फंडिंग प्राप्त करते हैं फिर बात उसको उसी भी करना पड़ेगा जिसका जिसने फंड दिया है चाहे मानवाधिकार का कवर फायर या धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर न्यायालय में उसके पक्ष में मुकदमा कर राहत दिलाने का हो एक मेक्सिको राजस्थान में मर गया उसका गला काटा गया उसके मुकदमा लड़ने के लिए कोई एनजीओ कोई संगठन नहीं आता लेकिन उस पर एक फिल्म बनती है तो उस फिल्म के खिलाफ एक रिप्रेजेंटेशन होता है उसके लिए लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाते हैं इसी प्रकार घुसपैठियों का ष्आधारष् बन जाता है उनके लिए एनजीओ खड़े हो जाते हैं न्यायालय के माध्यम से सिस्टमैटिक तरीके से उनके घुसपैठ को वैध बनाने का प्रयास किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट में इतने बड़े-बड़े वकील दुनिया भर का मुकदमा छोड़कर उसके लिए खड़े हो रहे कहां से फंड प्राप्त कर रहे हैं उसका एक मॉडल है जो काम कर रहा है उसमें बड़े वकील ,बड़े पत्रकार हमारे तरफ प्रोफेसर जो उनको कवर फायर देने का काम लगातार करते रहते। हमें उन शातिर अपराधियों को पहचानना होगा।
हाजी मोहम्मद सलीस (महामंत्री, एआईएसयूसी)ः
हम देश के प्रति वफादार हैं और ऐसे किसी भी कट्टरपंथी विचार को इस्लाम से जोड़ना सरासर गलत है। सरकार को ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। हम एजेंसियों के साथ हैं। हाजी मोहम्मद सलीस मुद्दे को भट्टकाते रहे कभी कावड़ पर कभी कावड़ियों पर तो वेदो और पुराणों के अध कचरे ज्ञान से धर्म परिवर्तन मुद्दे से भटकते और डिबेट को गुमराह करते रहे।