मुसाफिरखाना नगर पंचायत में होगा श्री श्याम संकीर्तन महोत्सव, भजन गायकों की मधुर प्रस्तुतियों से गूंजेगा नगर - अमित शाह ने आज बिहार के पटना में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित उत्सव को संबोधित किया - उपराष्ट्रपति ने एसआरएम विश्वविद्यालय दिल्ली-एनसीआर, सोनीपत के तीसरे दीक्षांत समारोह में भाग लिया - नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया - पी. एन. बी पेंशनर्स तृतीय त्रैवार्षिक आल इण्डिया जनरल काउंसिल मीटिंग मे होगा मंथनमुसाफिरखाना नगर पंचायत में होगा श्री श्याम संकीर्तन महोत्सव, भजन गायकों की मधुर प्रस्तुतियों से गूंजेगा नगर - अमित शाह ने आज बिहार के पटना में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित उत्सव को संबोधित किया - उपराष्ट्रपति ने एसआरएम विश्वविद्यालय दिल्ली-एनसीआर, सोनीपत के तीसरे दीक्षांत समारोह में भाग लिया - नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय गीत “वंदे मातरम” के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक वर्ष तक चलने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया - पी. एन. बी पेंशनर्स तृतीय त्रैवार्षिक आल इण्डिया जनरल काउंसिल मीटिंग मे होगा मंथन

रुहानियत की अविरल धारा – 78वां निरंकारी संत समागम

मध्यम मार्ग अपनाते हुए संतुलित जीवन जियें, सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

EDITED BY: DAT BUREAU

UPDATED: Monday, November 3, 2025

A continuous flow of spirituality - 78th Nirankari Sant Samagam

धर्मेन्द्र अनमोल
सहारनपुर / समालखा।
‘‘सांसारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए आध्यात्मिकता को जीवन में अपनाने से जीवन सहज, सुंदर एवं सफल बन जाता है।’’ सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने 78वें निरंकारी संत समागम के तीसरे दिन रविवार को उपस्थित विशाल जनसागर को अपने दिव्य प्रवचनों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान करते हुए उपरोक्त भाव व्यक्त किए। इस सन्त समागम में विश्वभर से आए लाखों श्रद्धालु सत्गुरु के पावन दर्शनों से आत्मविभोर हो रहे हैं, मुर्शद और मुरीद का यह संगम दिव्यता, भव्यता और आत्मिकता का अद्वितिय नज़ारा है।

सतगुरु माता जी ने आगे फरमाया कि केवल भौतिकता में आसक्त रहना अथवा आध्यात्मिक उन्नति के लिए घर परिवार की जिम्मेदारियों से किनारा कर लेना, ये दोनों ही जीवन के चरम छोर हैं। संतों ने हमेशा अलिप्त भाव से संसार में रहकर परमार्थ के मार्ग को अपनाते हुए संतुलित जीवन जीने की बात कही है। जीवन में यदि हम निराकार परमात्मा की उपस्थिति का अहसास करते हुए हर कार्य करते हैं तो वह कार्य निर्लेप भाव से युक्त सेवा ही हो जाता है, जिससे जीवन के दोनों पहलुओं की पूर्ति हो जाती है। सतगुरु माता जी ने वसुधैव कुटुंबकम की भावना का जिक्र करते हुए कहा कि संत अपने जीवन में आत्मभाव जागृत करके पूरी मानवता के प्रति प्रेम भाव धारण करते हैं।

संत सबको एक नज़र से देखते हुए किसी की जाति-पाति, अच्छाई-बुराई, गरीबी-अमीरी अथवा अन्य कोई भी भेदभाव मन में नहीं रखते हैं और जहां भेदभाव नहीं, वहां नफ़रत भी नहीं रहती; रहता है तो केवल प्रेम। सतगुरु माता जी ने अंत में कहा कि प्रेम देना भी है और स्वीकार भी करना है पर वास्तव में प्रेम बांटने के लिए होता है, केवल बटोरने के लिए नहीं। प्रेम वह भाव है जो जितना देते हैं उतना ही मन खुश रहता है, उसमें वापस पाने की अपेक्षा नहीं रखी जाती।

संतों का भाव तो देने का होता है न कि लेने का। ठीक इसी तरह संतुलित भाव को अपनाने से मन में शिकवे की जगह निरंतर शुकराने का भाव उत्पन्न होने लगता है। सतगुरु माता जी के विचारों से पूर्व आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने संत समागम में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि कोई सांसारिक प्रेम में डूब जाता है तो वह अपने प्रेमी को ईश्वर का दर्जा देता है और आनंदित रहता है, तो अगर किसी के हृदय में सत्गुरु और परमात्मा के प्रति इलाही प्रेम हो तो वह भक्ति बनकर आनंदित हो उठता है, नाचने-गाने लगता है।

फिर उसे किसी की भी कमियां नज़र आनी बंद हो जाती हैं, सारा विश्व ईश्वर का रूप नज़र आने लगता है, हर तरफ उसे ईश्वर के ही दर्शन होने लगते हैं अर्थात् प्रेम एक अद्भुत शक्ति है, इसलिए संसार में अगर प्राप्त करने योग्य कुछ है तो यही अटल सच्चाई है, यही अलौकिक प्रेम है। इसके पूर्व हरियाणा के मुख्य मंत्री नायब सिंह सैनी ने समागम में पधारकर सतगुरु के आशिष प्राप्त किए। अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि निरंकारी मिशन आत्ममंथन, आत्मसुधार एवं समाज निर्माण का प्रेरणा स्रोत है। यहां सारे भेदभावों से ऊपर उठकर मानव को मानव बनने की शिक्षा दी जाती है। आध्यात्मिक जागरूकता के साथ साथ मिशन समाज कल्याण के कार्यों में भी अनुकरणीय योगदान दे रहा है जो अत्यंत सराहनीय है।

कायरोप्रॅक्टिक शिविर एवं स्वास्थ्य मिशन के स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा संत समागम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी व्यापक प्रबंध किया गया है। समागम परिसर में 8 एलोपैथिक तथा 6 होम्योपैथिक डिस्पेन्सरियों की सेवा निरंतर जारी रही। साथ ही 15 प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र एवं 1 कारोप्रॅक्टिक शिविर का भी आयोजन किया गया। गंभीर रोगग्रस्त मरीजों के लिए 120 बेड का एक अस्थायी अस्पताल भी कार्यरत रहा। इसके अतिरिक्त मिशन द्वारा 12 एवं हरियाणा सरकार द्वारा 30 एम्बुलेंस की भी व्यवस्था की गई।

कायरोप्रॅक्टिक शिविर में अमेरिका एवं यूरोप से 7 डाक्टरर्स एवं भारत से 4 डाक्टरर्स की टीम समागम के दौरान सेवारत रही। इस चिकित्सा द्वारा करीब 2300 मरीज लाभान्वित हुए।

डिस्पेन्सरीज एवं अस्पताल में डाक्टरर्स एवं अन्य मेडिकल स्टाफ को मिलाकर 1000 से भी अधिक सेवादारों ने अपनी सेवायें दी, जिसका लाभ 10000 से भी अधिक जरुरतमंद श्रद्धालुओं ने लिया। 

लंगर एवं कैंटीन व्यवस्था

समागम परिसर में चार स्थानों पर कम्युनिटी किचन (लंगर) की व्यवस्था की गई जिसमें विश्वभर से पधारे लाखों श्रद्धालुओं को दिन-रात लंगर उपलब्ध कराया गया। देश-विदेश से आये लाखों श्रद्धालु जब एक साथ बैठकर लंगर ग्रहण कर रहे थे मानो वसुधैव कुटुंबकम का दृश्य साकार हो रहा है। 

इसके अतिरिक्त समागम स्थल पर 22 कैन्टीनों में अत्यन्त रियायती दरों पर अल्पाहार एवं चाय, कॉफी, मिनरल वाटर इत्यादि श्रद्धालुओं की सेवा में उपलब्ध रहा जिसका श्रद्धालुओं द्वारा भरपूर लाभ लिया गया।

खबरें और भी

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिले