प्यारी यादों से लेकर उत्सव की उमंग तक: सोनी सब के कलाकारों ने क्रिसमस के उत्साह पर व्यक्त किए अपने विचार - जिलाधिकारी ने क्षतिग्रस्त गल्ला मंडी उपरिगामी सेतु का किया निरीक्षण - श्रीराम विवाह की कथा सुनकर भक्त हुए भाव विभोर - आईपीएल 2026 की मिनी नीलामी में अमेठी के प्रशांत वीर ने रचा इतिहास, र - लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर भीषण सड़क हादसा, 4 लोगों की दर्दनाक मौतप्यारी यादों से लेकर उत्सव की उमंग तक: सोनी सब के कलाकारों ने क्रिसमस के उत्साह पर व्यक्त किए अपने विचार - जिलाधिकारी ने क्षतिग्रस्त गल्ला मंडी उपरिगामी सेतु का किया निरीक्षण - श्रीराम विवाह की कथा सुनकर भक्त हुए भाव विभोर - आईपीएल 2026 की मिनी नीलामी में अमेठी के प्रशांत वीर ने रचा इतिहास, र - लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर भीषण सड़क हादसा, 4 लोगों की दर्दनाक मौत

श्रीराम विवाह की कथा सुनकर भक्त हुए भाव विभोर

रिफॉर्म क्लब में चल रही "सुनिए कथा रघुनाथ की" में श्रीराम सीता जी का विवाह प्रसंग, गोविंद भाई ने सुनाया विवाह का मनमोहक प्रसंग

EDITED BY: DAT BUREAU

UPDATED: Wednesday, December 17, 2025

The devotees were overwhelmed after listening to the story of Shri Ram's marriage.

रायबरेली ब्यूरो। स्थानीय रिफार्म क्लब में ‘सुनिए कथा रघुनाथ की’ के पांचवे दिन राम कथा प्रवाचक गोविन्द भाई (बद्रीनाथ धाम) ने श्रीराम के विवाह मोहक प्रसंग का अत्यन्त सरस वर्णन किया। उन्होनें कहा कि पुष्प वाटिका में जब भगवान राम और माँ सीता एक-दूसरे के सम्मुख होते हैं तो स्तब्ध रह जाते हैं। भगवान लक्ष्मण जी को बताते हैं कि यही जनकनन्दिनी सीता है। इन्हीं के स्वयंवर के लिए गुरू विश्वामित्र हमें यहाँ लाए हैं।

गोविन्द भाई ने आगे कहा कि जब सीता जी माँ भवानी पूजा-अर्चना करती है तो माँ से अपने लिए कुछ नहीं माँगती। वे माँ से कहती है कि – ‘‘सुर नहर मुनि सब होहिं सुखारे’’ अर्थात वे लोक मँगल और सभी के सुख का वरदान माँ भवानी चाहती है। माता सीता माँ भवानी से कहती हैं कि आप जानती हैं कि मेरा मनोरथ क्या है? माँ भवानी जगतजननी सीता जी के निश्चल भाव से प्रसन्न होते हुए उन्हें वर देती हैं कि ‘‘मन जाहि रांचओ लिहि सो वर सांवरो’’ गोविन्द भाई ने इसे विस्तार देते हुए कहा कि परमात्मा से बिना माँगे ही सब कुछ मिल जाता है।

भगवान अपने भक्त को देने में कंजूसी नहीं करते। भगवान को भक्त का कुछ भी नहीं चाहिए, वे तो मात्र एक पुष्प से भी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान को वस्तुएँ आडम्बर प्रसन्न नहीं कर सकते। भगवान निर्मल मन और भावपूर्ण समर्पण से प्रसन्न होते हैं।
यज्ञ मण्डप में जब बड़े-बड़े प्रतापी और बलशाली राजा-महाराजा भगवान शिव का धनुष हिला भी नहीं सके तो राजा जनक निराश हो गए, उन्हें लगा कि अब सीता का विवाह असम्भव है, परन्तु गुरू की आज्ञा से भगवान राम ने धनुष उठाया ही नहीं उसकी प्रत्यंचा भी चढ़ा दी, जिससे धनुष टूट गया।

आयोजकों द्वारा आयोजित राम बारात के पण्डाल में प्रवेश के साथ कथा व्यास ने श्रीराम विवाह का प्रसंग पूर्ण किया। इस अवसर पर शेखर शुक्ला, विवेक मिश्रा ‘पल्लू’, राजन दीक्षित, हिमांशु बाजपेयी, देव कुमार मिश्रा, सौरभ शुक्ला, योगेश त्रिपाठी, रामसजीवन चौधरी, लाल सिंह यादव, राधेलाल यादव, राजेश पाण्डेय, डा0 अनसुभी, दीपू सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, रोहित त्रिपाठी, गौरव मिश्रा आदि गण्यमान्य लोग उपस्थित रहे।

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिले