
जलालाबाद शामली फैसल मलिक तहसील संवाददाता दैनिक अयोध्या टाइम्स जनपंद शामली।
जलालाबाद में मोहर्रम के दसवें दिन जुलूस का आयोजन मुहल्ला नानू स्थित इमाम बारगाह कल्लू शाह से मजलिस के बाद शुरू किया गया। इमाम बारगाह से जुलूस ताजियों व जुलजुनाह के साथ नीलगरान चौक पहुंचा। यहां पर इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की कर्बला में शहादत होने का वाक्य सुनकर सीना जरी करते मातम पुर्सी की। इमाम हुसैन व उनके मासूम पुत्र हजरत अली असगर की शहादत को सुनकर शिया सोगवार जंजीर से मातम पुर्सी करते लहूलुहान हो गए। मास्टर शब्बर हुसैन ने इमाम हुसैन व कर्बला में इस्लाम की रक्षा के खातिर 72 शहीदों के बारे में बताया कि उन्होंने सत्य, धर्म की रक्षा के खातिर जालिम यजीद व उनकी सेना के सामने घुटने नहीं टेके। मोहर्रम की पहली तारीख से दसवीं तारीख सब्र के दिन होते हैं। कर्बला का युद्ध मोहर्रम की पहली तारीख से दसवीं तारीख तक हुआ था। एक तरफ जालिम यजीद के 8000 सैनिकों की फौज, दूसरी तरफ इस्लाम की रक्षा के खातिर हजरत इमाम हुसैन व उनके 72 साथी युद्ध में डटे रहे। दसवीं तारीख में हजरत इमाम हुसैन के छोटे पुत्र हजरत अली असगर की शहादत होने पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत हो गई। कर्बला के युद्ध से संदेश मिलता है कि धर्म व सत्य की रक्षा के खातिर अपने प्राणों की परवाह नहीं करनी चाहिए। इस्लाम धर्म दूसरे धर्म के मानने वालों के साथ मिलजुल कर रहने का संदेश देता है। इस्लाम में इंसानियत को लेकर चलने की बात कही गई है। जो लोग इस रास्ते पर नहीं चलते हैं। वह इस्लाम के मानने वाले नहीं हो सकते। नीलगरान चौक से जलूस कटहरा बाजार पहुंचा, यहां पर मोहर्रम के बारे में जानकारी दी गई। जुलूस कटहरा बाजार से होते पुरानी पुलिस चौकी पहुंचा, यहां पर शिया सोगवार कर्बला के शहीदों की शहादत को सुनकर फूट फूट रोए। जुलूस का समापन इमाम बारगाह कल्लू शाह पर हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में शमीम हुसैन, नाजिम जैदी, रियाज हुसैन, हाशिम हुसैन, सरफराज हुसैन, सोनू, अन्य रहे।