रामगोपाल कुशवाहा
पीलीभीत /महाराज ने श्रीमद् भागवत के मनभावन गोवर्धन महिमा के हृदय स्पर्शी प्रसंगों को भक्तों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब भगवान इंद्र अपनी पूजा न होने से कुपित हो गए और उन्होंने भीषण वर्षा कर दी जिससे सारे गोकुलवासी और उनकी गऊऐं बहुत व्याकुल और परेशान हो गए। सब ने भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना की तो गोकुल वासियों के परेशानियों को देखते हुए और इंद्र का मान मर्दन करने के लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर धारण कर लिया और ग्वाल बालों से अपने लकुटिया पर्वत के नीचे लगाने को कहा । भाव यह है कि करता तो भगवान ही है लेकिन माध्यम दूसरों को बनाता है ।
उन्होंने पर्वत को स्वयं उठाया लेकिन गोकुल वासियों के सहयोग से लकुटिया लगाकर ऐसा दिखाया जैसे मेरे नहीं उनके सहयोग से यह पर्वत उनकी लकुटियों पर रुका है। जब कई दिन बीत गए और सब गोकुलवासी अपने गऊओं के साथ गोवर्धन पर्वत के नीचे रहते रहे तब इंद्र का मान मर्दन हुआ और वह भगवान श्री कृष्ण के समक्ष उपस्थित होकर क्षमा याचना करने लगे। महाराज के कहने का भाव था कि भगवान किसी का भी घमंड नहीं रखते हैं। सभी भक्तगणों ने भाव विभोर होकर शिवानंद महाराज द्वारा कहीं जा रही श्रीमद् भागवत कथा का आनंद लिया।हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोता गण पूर्ण भाव भक्ति में विभोर नजर आए।आज के मुख्य यजमान केतन अग्रवाल सीए, दैनिक यजमान श्याम व प्रदीप अग्रवाल थे। कार्यक्रम का समापन आरती के उपरांत प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
कार्यक्रम में डॉ एसके अग्रवाल, डॉ महेश चंद्रा, डॉक्टर आस्था अग्रवाल, अध्यक्ष नगर पालिका परिषद, राकेश अग्रवाल, रमेश खंडेलवाल, अंकुर अग्रवाल, संचित अग्रवाल, सतीश जायसवाल, देवेश बंसल, महेश अग्रवाल, अजय दीपू, श्याम सर्राफ, मुरली मनोहर अग्रवाल एड, शिवा, रवि श्रीवास्तव, राधेलाल, मनोज मित्तल, अशोक अग्रवाल, अनिल दुलवानी, मुरली अग्रवाल, संजीव अल्लू बाबू, कमल अग्रवाल,अनिल कमल सहित हजारों की संख्या में लोग उपस्थित रहे।






