स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला पंचायत सभाकक्ष में अधिकारीयो कर्मचारियों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर का किया गया आयोजन - स्टार स्टूडियो18 लेकर आया भारत की सबसे मशहूर अदालत फ़्रेंचाइज़ी 'Jolly LLB 3' का धमाकेदार ट्रेलर - राष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन ने विधार्थियो को मैडल पहनाकर किया सम्मानित - प्रभारी सीएमएचओ पर मनमानी से सक्ती स्वास्थ्य विभाग की बिगड़ी नब्ज़ - श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ, सत्य की राह पर चले.. प्रेमवीर शास्त्रीस्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला पंचायत सभाकक्ष में अधिकारीयो कर्मचारियों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर का किया गया आयोजन - स्टार स्टूडियो18 लेकर आया भारत की सबसे मशहूर अदालत फ़्रेंचाइज़ी 'Jolly LLB 3' का धमाकेदार ट्रेलर - राष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन ने विधार्थियो को मैडल पहनाकर किया सम्मानित - प्रभारी सीएमएचओ पर मनमानी से सक्ती स्वास्थ्य विभाग की बिगड़ी नब्ज़ - श्रीमद भागवत कथा का शुभारंभ, सत्य की राह पर चले.. प्रेमवीर शास्त्री

प्रभारी सीएमएचओ पर मनमानी से सक्ती स्वास्थ्य विभाग की बिगड़ी नब्ज़

परिवीक्षा अवधि की अधिकारी बनीं प्रभारी, जिला स्वास्थ्य सेवाएँ अव्यवस्था की चढ़ीं भेंट

EDITED BY: DAT BUREAU

UPDATED: Wednesday, September 10, 2025

Officers in charge became probationers, district health services fell prey to chaos

सक्ती। जिले का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर विवादों में है। नवपदस्थ परिवीक्षा अवधि की चिकित्सा अधिकारी डॉ. पूजा अग्रवाल पर प्रभारी सीएमएचओ का कार्यभार संभालते ही मनमानी और निरंकुश फैसले लेने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। डॉ. अग्रवाल हाल ही में रायगढ़ जिला अस्पताल से सक्ती में प्रभारी सीएमएचओ बनाई गईं।

लेकिन जिम्मेदारी निभाने के बजाय उनके फैसले अब विभागीय कामकाज और आम जनता के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं, स्वास्थ्य संयोजकों का वेतन रोकना, जीवन दीप समिति जैसे स्वतंत्र निकायों में अनावश्यक दखल, विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए भ्रामक ड्यूटी आदेश जारी करना, ब्लॉक मेडिकल ऑफिसरों के कार्यक्षेत्र में सीधी दखलअंदाजी, ऐसे कई आरोपों की लंबी फेहरिस्त है, वही सूत्रों का कहना है कि प्रभारी सीएमएचओ अपनी प्राथमिक जिम्मेदारियाँ छोड़कर विभागीय अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर रही हैं।

सरकारी वाहनों का कब्ज़ा – फील्ड विजिट ठप्प

जिले को स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी और फील्ड विजिट के लिए शासन स्तर से 4 शासकीय वाहन उपलब्ध कराए गए।
लेकिन आरोप है कि सभी वाहन डॉ. अग्रवाल ने अपने कब्जे में कर रखा हैं।
न तो ब्लॉकों का सुपरविजन हो रहा है और न ही स्वास्थ्य सेवाओं की मॉनिटरिंग हो रही है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा असर

प्रभारी सीएमएचओ बनने के बाद डॉ. अग्रवाल ने एक भी ब्लॉक का नियमित निरीक्षण नहीं किया। न तो ब्लॉक मेडिकल ऑफिसरों से समन्वय, न ही स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की पहल। जिले के स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी भ्रम और निरंकुशता की स्थिति में काम कर रहे हैं। इसका सीधा खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। सक्ती में स्वास्थ्य सेवाएँ मरीजों तक पहुँचने के बजाय कार्यालयीन राजनीति और प्रभारी सीएमएचओ की मनमानी की भेंट चढ़ गई हैं। विभागीय कर्मचारियों का तो यहां तक कहना है की जिस तरह से प्रभारी सीएमएचओ तुगलकी फरमान देती हैं उससे कहीं ना कहीं उनकी लापरवाही और प्रशासनिक स्तर में कमजोर पकड़ को जाहिर करता है। अब देखना होगा कि शासन इस पूरे मामले पर कब और कैसी कार्यवाही करता है। फिलहाल, जिले की जनता और स्वास्थ्यकर्मी दोनों ही यही पूछ रहे हैं – क्या स्वास्थ्य विभाग का इलाज अब कोई करेगा..?

जिम्मेदारों की चुप्पी पर सवाल

जिले में स्वास्थ्य सेवाएँ चरमराई हुई हैं।
लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और शासन स्तर पर बैठे लोग मौन साधे हुए हैं।
प्रश्न उठ रहा है –क्या परिवीक्षा अवधि में नियुक्त प्रभारी सीएमएचओ को इतने व्यापक अधिकार देना सही है..? क्या विभागीय राजनीति और व्यक्तिगत मनमानी के चलते जनता की ज़िंदगी दांव पर नहीं लग रही..?