
जहाँ एक ओर सरकार गरीब बच्चो को शिक्षित करने के लिए स्कूल चलो अभियान जैसे कई कार्यक्रम आयोजित करती है आर टी ई के तहत प्राइवेट स्कूलों मे हर कक्षा में मानक के अनुसार कुछ गरीब बच्चो को प्रवेश दिया जाता है सरकार के दबाव में स्कूल एडमीशन तो कर लेते हैं लेकिन अभिभावको से अलग से कही कोई हलफनामा एक्स्ट्रा गतिविधियों के नाम से अलग से पैसा देने का दबाव डाला जाता है ताजा मामला जयपुरिया स्कूल पंडित खेडा कानपुर रोड कैम्पस का है जहाँ बच्चे का एडमिशन तो लिया गया लेकिन उसको महीनों से चक्कर लगवाये जा रहे हैं पूछने पर बच्चे की माँ का कहना है कि उसके बच्चे का एडमिशन आर टी ई के माध्यम से जनवरी में हो गया था लेकिन स्कूल प्रशासन उसको हलफनामा माँग रही जबकि नियमानुसार सारी जाँच पडताल के बाद ही आर टी ई में नाम आता उसके बार बुक सेट के नाम से पैसा लिया गया और फिर बुकसेट वापस लिया गया और बताया गया कि गलत सेट चला गया जुलाई आखिरी महीना चल रहा बच्चे की पढ़ाई कितना प्रभावित हो रही है इसका जिम्मेदार कौन ? फिर एक्स्ट्रा गतिविधि के रुपये माँगे गये न देने पर बच्चे को अलग कक्षा में भेज दिया गया । उस बच्चे के दिमाग पर क्या असर होगा अगर शिक्षा के मन्दिर में ऐसा भेदभाव किया जा रहा है प्राइवेट स्कूल शिक्षा के मन्दिर न होकर व्यवसाय का कारखाना बन चुके हैं। आखिर यह सब रसूखदारों के दबाव में चल रहा या मामला कुछ और है सरकार से निवेदन है कि इस मनमानी पर रोक लगाये ।






