सक्ती। हसौद क्षेत्र में अवैध लॉजों का धंधा लगातार परवान चढ़ रहा है। यह कारोबार सिर्फ समाज की नैतिकता और युवाओं के भविष्य के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे जिले की कानून व्यवस्था के लिए भी बड़ा खतरा बन चुका है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सक्ती जिले में पीटा एक्ट लागू नहीं है। जबकि यह कानून अनैतिक गतिविधियों और देह व्यापार जैसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए बनाया गया था।
अवैध लॉजों का जाल-युवा हो रहे शिकार
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, हसौद क्षेत्र में दर्जनों लॉज बिना लाइसेंस और बिना अनुमति के चल रहे हैं। इन लॉजों में न तो पहचान पत्र की अनिवार्यता है और न ही किसी प्रकार की प्रशासनिक जांच। युवाओं को आसानी से कमरे उपलब्ध कराए जाते हैं, जहां उन्हें बहलाकर अनैतिक गतिविधियों में शामिल किया जाता है। इन्हीं लॉजों में कई बार छात्र-छात्राओं को गलत रास्तों पर धकेले जाने की शिकायतें भी सामने आई हैं।
स्थानीय नागरिकों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों को मौखिक शिकायत दी, मगर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। न तो छापामार कार्रवाई हुई, न किसी लॉज का लाइसेंस चेक किया गया, इससे यह सवाल उठता है कि आखिर किसकी शह पर यह गोरखधंधा चल रहा है..? क्या यह केवल लापरवाही है या फिर कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत और संरक्षण का खेल..?
पुरानी कार्रवाई और वर्तमान हालात
गौरतलब है कि तीन साल पहले हसौद के कुछ लॉजों पर छापेमारी की गई थी। उस दौरान कई युवक-युवतियां आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े गए थे। लेकिन जिले में पीटा एक्ट लागू नहीं से बड़ी कार्रवाई नहीं हुई थी। उसके बाद से प्रशासन ने जैसे आंख ही मूंद ली हो। लंबे समय तक कार्रवाई नही होने का नतीजा यह है कि आज वही लॉज फिर से उसी अवैध धंधे को नए तरीके से चला रहे हैं।
सामाजिक और मानसिक पतन का खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऐसे लॉजों पर लगाम नहीं कसी गई, तो यह क्षेत्र जल्द ही अपराध और अनैतिक गतिविधियों का अड्डा बन जाएगा। इससे युवाओं का मानसिक और सामाजिक पतन होगा। परिवारों की सुरक्षा और समाज की नैतिकता पर गंभीर संकट खड़ा होगा। सबसे बड़ा खतरा यह है कि हसौद धीरे-धीरे देह व्यापार जैसे गंभीर अपराधों का गढ़ बन सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि इस खुलासे के बाद क्या जिम्मेदार विभाग हरकत में आते हैं और अवैध लॉजों पर पीटा एक्ट के तहत कार्रवाई होती है, या फिर यह मामला भी हमेशा की तरह फाइलों और ठंडे बस्ते में दबकर रह जाएगा।