सीपी राधाकृष्णन ने ली उपराष्ट्रपति पद की शपथ - इंडो-नेपाल सीमा पर कर दी गई कड़ी सुरक्षा व्यवस्था - गोमती उद्गम स्थल माधोटांडा में चार दिवसीय नौ कुण्डीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ की रूपरेखा तैयार की गई। - पंडित कमल पाठक ने सीता स्वयंवर का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। - विश्व हिंदू रक्षा परिषद के नए जिलाध्यक्ष का हुआ जोरदार स्वागत।सीपी राधाकृष्णन ने ली उपराष्ट्रपति पद की शपथ - इंडो-नेपाल सीमा पर कर दी गई कड़ी सुरक्षा व्यवस्था - गोमती उद्गम स्थल माधोटांडा में चार दिवसीय नौ कुण्डीय शक्ति संवर्धन गायत्री महायज्ञ की रूपरेखा तैयार की गई। - पंडित कमल पाठक ने सीता स्वयंवर का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। - विश्व हिंदू रक्षा परिषद के नए जिलाध्यक्ष का हुआ जोरदार स्वागत।

पंडित कमल पाठक ने सीता स्वयंवर का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

महंत बाबा राघवदास ने बताया कि श्रीराम कथा का समापन 14 सितंबर को हवनपूजन, पूर्णाहुति के साथ कन्या भोज और विशाल भंडारे के साथ धार्मिक कार्यक्रम का समापन होगा।

EDITED BY: DAT ब्यूरो चीफ

UPDATED: Friday, September 12, 2025

राम गोपाल कुशवाहा ब्यूरो

पूरनपुर। गांव आसपुर जमुनिया के ठाकुर द्वारा मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन पंडित कमल पाठक ने सीता स्वयंवर का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कथा व्यास ने राम विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक सीता का स्वयंवर रखते हैं। कई देशों के राजकुमारों को आमंत्रित करते हैं। इस दौरान काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।


गांव आसपुर जमुनिया के ठाकुर द्वारा मंदिर पर महंत बाबा राघवदास के द्वारा 08 सितंबर से सात दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन चल रहा है। जिसमें अपरान्ह दो बजे से सायं छह बजे तक एवं रात्रि आठ बजे से ग्यारह बजे तक श्रीराम कथा का आयोजन चलता है। श्रीराम कथा के चौथे दिन पुवायां के नाहिल मरैना से पधारे कथाव्यास पंडित कमल पाठक ने राम विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा जनक सीता का स्वयंवर रखते है।

जिसमें कई देशों के राजकुमारों को स्वयंवर में आमंत्रित करते है। स्वयंवर में गुरु विश्वामित्र के साथ राम-लक्ष्मण जाते है। जिसमें देश के कोने-कोने से आए युवराज शिव धनुष उठाने का प्रयास करते हैं लेकिन कोई भी शिव धनुष को हिला तक नहीं पाता। तब राजा जनक मन में दुखी होकर सोचते हैं कि उन्होंने शिव धनुष उठाने की जो शर्त रखी है, उससे लग रहा है कि उसे कोई पूरा नहीं कर पाएगा और सीता का स्वयंवर नहीं हो सकेगा। राम राजा जनक के मन की बात जान जाते हैं और गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर शिव धनुष उठाने जाते हैं। राम शिव धनुष को नमन करने के बाद उसे एक हाथ से उठा लेते हैं।

धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते समय शिव धनुष टूट जाता है। इसके बाद सीता राम के गले में वरमाला डाल देती हैं राम की जय जयकार होने लगती है। महंत बाबा राघवदास ने बताया कि श्रीराम कथा का समापन 14 सितंबर को हवनपूजन, पूर्णाहुति के साथ कन्या भोज और विशाल भंडारे के साथ धार्मिक कार्यक्रम का समापन होगा। धार्मिक समारोह में हरजीत सिंह, रामसनेही भास्कर, डॉ. तेजबहादुर सिंह तेजू, सर्वेश कुमार स्वर्णकार, राधाकृष्ण कुशवाहा, रविप्रताप सिंह, देवेश, राजेश सिंह, नंदराम वर्मा, वेद प्रकाश शर्मा, विजयपाल सिंह, राकेश वर्मा, हरिओम श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

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