रामकिशोर रावत संवाददाता मलिहाबाद |
विकास खंड में पंचायत स्तरीय, ब्लाक स्तरीय, जिला स्तरीय और राज्य स्तरीय खेलों की प्रतियोगिताएं ठप पड़ी हैं। जिससे ग्रामीण युवाओं की प्रतिभा का विकास तो होना बंद ही है। साथ ही युवाओं में मायूसी देखी जा रही है। पूर्ववर्ती सरकारों ने गांवों में युवाओं की प्रतिभा को निखारने के लिए लाखों की लागत से खेल मैदानों(क्रीड़ा स्थलों)का निर्माण कार्य शुरू कराया था।
साथ ही साथ प्रत्येक पंचायत के ग्राम प्रधानों को एक एक लाख का खेल का सामान भी मुहैया कराया था, लेकिन वर्तमान में खेल मैदान और ग्रामीण युवा प्रतिभा को निखारने के नाम पर मात्र कागजी कार्यवाही की जा रही है। वहीं ग्राम पंचायत स्तर, ब्लाक स्तरीय, जिलास्तरीय और राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताएं लगभग एक दशक से नहीं करायी जा रही हैं। ऐसा नहीं है कि युवा कल्याण विभाग द्वारा या सरकार द्वारा ब्लाक स्तरीय अधिकारियों(बीओ) के पद समाप्त कर दिये गये हैं।
सूत्रों की मानें तो जो मंडल स्तरीय अधिकारी नियुक्त की गयी हैं, उन्होंने ब्लाक से लेकर मंडल स्तर तक संपूर्ण अधिकार अपने अधीन समेट रखा है। साथ ही सभी ब्लाक स्तरीय युवा कल्याण अधिकारियों को जिला कार्यालय में ही रहने के निर्देश दे रखे हैं।यही नहीं युवा कल्याण विभाग के तहत जो पीआरडी जवानों को प्रशिक्षित किया गया था उनकी ड्यूटी में भी मंडल युवा अधिकारी द्वारा सभी अधिकार स्वयं में समाहित रखे हैं।
नाम न लिखने की शर्त पर एक पीआरडी जवानों ने बताया कि साहब ड्यूटी लगाने की खुद एक हजार प्रति माह लेती हैं, तब एक माह ड्यूटी मिल पाती है। वर्ष2016में माल ब्लॉक में युवा कल्याण अधिकारी(बीओ)संतोष कुमार चतुर्वेदी की सेवानिवृत्ति के बाद आज तक किसी भी ब्लाक स्तरीय युवा कल्याण अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गयी है। जबकि जिले में सभी बीओ मुख्य कार्यालय पर ही आराम करते बताए जा रहे हैं।