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नरेन्द्र मोदी ने असम के नामरूप में असम वैली उर्वरक और रसायन कंपनी लिमिटेड की अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना की आधारशिला रखी

हमारी सरकार किसानों के कल्याण को अपने सभी प्रयासों के केंद्र में रख रही है-प्रधानमंत्री मोदी

EDITED BY: DAT BUREAU

UPDATED: Sunday, December 21, 2025

Narendra Modi laid the foundation stone of Ammonia-Urea Fertilizer Project of Assam Valley Fertilizers and Chemicals Company Limited in Namrup, Assam

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री ने आज असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप में असम वैली उर्वरक और रसायन कंपनी लिमिटेड की अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना की आधारशिला रखी। इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि यह चाओलुंग सुखापा और महावीर लछित बोडफुकन जैसे महान नायकों की भूमि है। उन्होंने भीमबर देउरी, शहीद कुशल कुंवर, मोरन राजा बोदूसा, मालती मेम, इंदिरा मीरी, स्वर्गदेव सरबानंदा सिंह और वीर सती साधनी के योगदान को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे उजानी असम की पवित्र भूमि, इस वीरता और बलिदान की महान भूमि को नमन करते हैं।

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वे आगे बड़ी संख्या में लोगों को अपना स्नेह व्यक्त करते हुए देख सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से माताओं और बहनों की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि वे जो प्रेम और आशीर्वाद लेकर आई हैं, वह असाधारण है। उन्होंने कहा कि कई बहनें असम के चाय बागानों की सुगंध लेकर आई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुगंध असम के साथ उनके रिश्ते में एक अनूठा भाव पैदा करती है। उन्होंने वहां उपस्थित सभी लोगों को प्रणाम किया और उनके स्नेह और प्रेम के लिए आभार व्यक्त किया।

PM मोदी ने कहा कि आज का दिन असम और पूरे पूर्वोत्तर भारत के लिए ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि नामरूप और डिब्रूगढ़ का लंबे समय से प्रतीक्षित सपना साकार हो गया है और इस क्षेत्र में औद्योगिक प्रगति का एक नया अध्याय शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि कुछ ही समय पहले उन्होंने अमोनिया-यूरिया उर्वरक संयंत्र का भूमि पूजन किया और डिब्रूगढ़ पहुंचने से पहले गुवाहाटी हवाई अड्डे के नए टर्मिनल का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी कह रहे हैं कि असम ने अब विकास की एक नई रफ्तार पकड़ ली है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज जो कुछ हो रहा है वह तो बस शुरुआत है और असम को अभी और आगे ले जाना है।

उन्होंने अहोम साम्राज्य के दौरान असम की ताकत और भूमिका को याद करते हुए कहा कि विकसित भारत में असम उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने नए उद्योगों की शुरुआत, आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण, सेमीकंडक्टर विनिर्माण, कृषि में नए अवसरों, चाय बागानों और उनके श्रमिकों की उन्नति और पर्यटन में बढ़ती संभावनाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि असम हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। मोदी ने आधुनिक उर्वरक संयंत्र के लिए शुभकामनाएं दीं और गुवाहाटी हवाई अड्डे के नए टर्मिनल के लिए लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य स्तर पर उनकी सरकारों के तहत, उद्योग और कनेक्टिविटी के तालमेल से असम के सपने साकार हो रहे हैं और युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि विकसित भारत के निर्माण में देश के किसानों और अन्नदाताओं की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए काम कर रही है और किसान हितैषी योजनाएं सभी किसानों तक पहुंचाई जा रही हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कृषि कल्याणकारी पहलों के साथ-साथ किसानों को उर्वरकों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। मोदी ने कहा कि आने वाले समय में नया यूरिया संयंत्र इस आपूर्ति की गारंटी देगा। उन्होंने बताया कि उर्वरक परियोजना में लगभग 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे प्रतिवर्ष 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक का उत्पादन होगा। उन्होंने रेखांकित किया कि स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने से आपूर्ति तेज होगी और लॉजिस्टिक लागत कम होगी।

PM मोदी ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नामरूप इकाई से हजारों नए रोजगार और स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे और संयंत्र के चालू होने से कई लोगों को स्थानीय स्तर पर स्थायी रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि मरम्मत, आपूर्ति और अन्य संबंधित कार्यों से भी युवाओं को रोजगार मिलेगा। मोदी ने सवाल किया कि किसानों के कल्याण के लिए ऐसी पहलें उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद ही क्यों शुरू हो रही हैं।

उन्होंने कहा कि नामरूप लंबे समय से उर्वरक उत्पादन का केंद्र रहा है और एक समय यहाँ उत्पादित उर्वरक ने पूर्वोत्तर राज्यों के खेतों को उपजाऊ बनाया और किसानों की फसलों को सहारा दिया। उन्होंने याद दिलाया कि जब देश के कई हिस्सों में उर्वरक आपूर्ति एक चुनौती थी, तब भी नामरूप किसानों के लिए आशा का स्रोत बना रहा। हालांकि, उन्होंने बताया कि पुराने संयंत्रों की तकनीक समय के साथ पुरानी हो गई और पिछली सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। परिणामस्वरूप, नामरूप संयंत्र की कई इकाइयाँ बंद हो गईं, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों के किसान परेशान हो गए, उनकी आय प्रभावित हुई और कृषि संबंधी कठिनाइयाँ बढ़ गईं। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आज केंद्र और राज्य स्तर पर उनकी सरकारें पिछली सरकारों द्वारा पैदा की गई समस्याओं का समाधान कर रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि असम की तरह ही कई अन्य राज्यों में भी उर्वरक कारखाने बंद हो गए थे। उन्होंने उस समय किसानों द्वारा झेली गई कठिनाइयों को याद किया, जब उन्हें यूरिया के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता था, दुकानों पर पुलिस तैनात करनी पड़ती थी और किसानों पर लाठीचार्ज किया जाता था। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने इन स्थितियों को और भी बदतर बना दिया था, जबकि वर्तमान सरकार इन्हें सुधार रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछली सरकार के कार्यकाल में उर्वरक कारखाने बंद हो रहे थे, जबकि वर्तमान सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी और रामागुंडम में कई संयंत्र शुरू किए हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “वर्ष 2014 में देश में केवल 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हुआ था, जबकि आज उत्पादन लगभग 306 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है।” उन्होंने बताया कि भारत को प्रतिवर्ष लगभग 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता है और सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार किसानों के हितों के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। मोदी ने कहा कि विदेशों से अधिक कीमतों पर आयातित यूरिया का भी किसानों पर बोझ नहीं बनने दिया जाता, क्योंकि सरकार सब्सिडी के माध्यम से यह लागत वहन करती है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसानों को यूरिया का एक बोरा मात्र 300 रुपये में मिलता है, जबकि सरकार उसी बोरे के लिए अन्य देशों को लगभग 3,000 रुपये का भुगतान करती है। उन्होंने रेखांकित किया कि शेष राशि सरकार द्वारा वहन की जाती है ताकि किसान भाइयों और बहनों पर कोई वित्तीय बोझ न पड़े। उन्होंने किसानों से यूरिया और अन्य उर्वरकों का अधिकतम उपयोग करके मिट्टी को बचाने का भी आग्रह किया।

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज बीज से लेकर बाजार तक, उनकी सरकार किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि कार्यों के लिए धनराशि सीधे किसानों के खातों में हस्तांतरित की जा रही है ताकि उन्हें ऋण के लिए भटकना न पड़े। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत अब तक किसानों के खातों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष ही किसानों की सहायता के लिए 35,000 करोड़ रुपये की दो योजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन कृषि को और बढ़ावा देंगे।

सरकार द्वारा किसानों की हर जरूरत को ध्यान में रखते हुए काम करने पर जोर देते हुए, मोदी ने कहा कि प्रतिकूल मौसम के कारण फसलों को नुकसान होने पर, फसल बीमा योजना के माध्यम से किसानों को सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित करने के लिए खरीद व्यवस्था में सुधार किया गया है। प्रधानमंत्री ने पुष्टि की कि सरकार का दृढ़ विश्वास है कि देश तभी प्रगति कर सकता है जब किसान सशक्त हों और इसके लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र में सरकार बनने के बाद पशुपालकों और मत्स्यपालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा के अंतर्गत शामिल किया गया है, जिससे उन्हें काफी लाभ मिल रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से इस वर्ष किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि जैविक उर्वरकों पर जीएसटी में कमी से भी किसानों को काफी राहत मिली है। मोदी ने रेखांकित किया कि उनकी सरकार प्राकृतिक खेती को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन शुरू किया गया है, जिससे लाखों किसान जुड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में देश भर में 10,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) स्थापित किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर पर विशेष ध्यान देते हुए सरकार ने पाम ऑयल से संबंधित एक मिशन शुरू किया है, जिससे न केवल भारत खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि इस क्षेत्र के किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में चाय बागान श्रमिकों की मौजूदगी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह उनकी सरकार ने ही असम में साढ़े सात लाख चाय बागान श्रमिकों के लिए जन धन बैंक खाते खुलवाने में सहायता की। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली से जुड़ने के बाद, इन श्रमिकों को अब सीधे अपने खातों में धन हस्तांतरण का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार चाय बागान क्षेत्रों में स्कूलों, सड़कों, बिजली, पानी और अस्पतालों जैसी सुविधाओं का विस्तार कर रही है।

PM मोदी ने सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र पर आगे बढ़ने और इस सोच से गरीबों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने की बात कहते हुए कहा कि पिछले 11 वर्षों में इन प्रयासों के कारण 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं और देश में एक नया मध्यम वर्ग उभरा है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि हाल के वर्षों में गरीब परिवारों के जीवन स्तर में लगातार सुधार हुआ है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि हाल ही में ऐसे आंकड़े सामने आए हैं जो भारत में हो रहे बदलावों को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि पहले गांवों के सबसे गरीब परिवारों में से केवल दस में से एक परिवार के पास साइकिल होती थी, जबकि अब लगभग आधे परिवारों के पास साइकिल या कार है। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन लगभग हर घर तक पहुंच चुके हैं और फ्रिज जैसी वस्तुएं, जिन्हें कभी विलासिता की वस्तु माना जाता था, अब आम बात हो गई हैं और गांवों की रसोई में भी दिखाई देती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्टफोन के प्रसार के बावजूद गांवों में टेलीविजन रखने का चलन बढ़ा है। मोदी ने जोर देकर कहा कि ये बदलाव अपने आप नहीं हुए हैं, बल्कि इसलिए हुए हैं क्योंकि देश के गरीब लोग सशक्त हो रहे हैं और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग भी अब विकास से लाभान्वित हो रहे हैं।

नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र और राज्य स्तर पर उनकी सरकारें गरीबों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं के लिए हैं और असम तथा पूर्वोत्तर भारत में दशकों से चली आ रही हिंसा को समाप्त करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि सरकार ने सदैव असम की पहचान और संस्कृति को सर्वोपरि रखा है और हर मंच पर असमिया गौरव के प्रतीकों को प्रदर्शित किया है। उन्होंने बताया कि यही कारण है कि सरकार ने गर्व से महावीर लछित बडफुकन की 125 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराया, भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी मनाई और असम की कला, शिल्प और गमोसा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उन्होंने उल्लेख किया कि कुछ ही दिन पहले जब रूस के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन दिल्ली आए थे, तो उन्होंने उन्हें अत्यंत गर्व के साथ असम की काली चाय भेंट की थी।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि असम की गरिमा बढ़ाने वाले हर प्रयास को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने कहा कि जब वे ऐसा कोई काम करते हैं, तो विपक्ष को सबसे ज्यादा असुविधा होती है। उन्होंने याद दिलाया कि जब सरकार ने भूपेन हजारिका को भारत रत्न से सम्मानित किया, तो विपक्ष ने खुलेआम इसका विरोध किया और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने टिप्पणी की, ‘मोदी गायकों और कलाकारों को भारत रत्न दे रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि असम में सेमीकंडक्टर इकाई की स्थापना के समय भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि दशकों तक विपक्षी सरकार ने चाय बागान समुदाय के भाइयों और बहनों को भूमि अधिकार देने से इनकार किया, जबकि उनकी सरकार ने उन्हें भूमि अधिकार और सम्मानजनक जीवन दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष राष्ट्रविरोधी सोच को बढ़ावा दे रहा है और अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए असम के जंगलों और जमीनों पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने की कोशिश कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को असम, यहाँ की जनता या उनकी पहचान की कोई चिंता नहीं है, उसे केवल सत्ता और सरकार में ही रुचि है। उन्होंने कहा कि विपक्ष अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्राथमिकता देता है, उन्हें बसाता है और उनका संरक्षण करता रहता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यही कारण है कि विपक्ष मतदाता सूचियों के शुद्धिकरण का विरोध करता है। नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर बल दिया कि असम को विपक्ष की तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के जहर से बचाना आवश्यक है। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि उनकी पार्टी असम की पहचान और सम्मान की रक्षा के लिए ढाल की तरह खड़ी है।

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