नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के डेडियापाड़ा में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती समारोह के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को किया संबोधित - अमित शाह ने भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए - जनजातीय शौर्य की शान: धरती आबा, बिरसा मुंडा भगवान - लिटिल पब्लिक स्कूल में धूमधाम से मनाया गया चिल्ड्रंस डे -  उप मुख्यमंत्री ने की जनपद में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकनरेन्द्र मोदी ने गुजरात के डेडियापाड़ा में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती समारोह के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को किया संबोधित - अमित शाह ने भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए - जनजातीय शौर्य की शान: धरती आबा, बिरसा मुंडा भगवान - लिटिल पब्लिक स्कूल में धूमधाम से मनाया गया चिल्ड्रंस डे -  उप मुख्यमंत्री ने की जनपद में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक

नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के डेडियापाड़ा में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती समारोह के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को किया संबोधित

प्रधानमंत्री ने 9,700 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न अवसंरचना और विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

EDITED BY: DAT BUREAU

UPDATED: Saturday, November 15, 2025

Narendra Modi addressed the Tribal Pride Day programme on the occasion of the 150th birth anniversary celebrations of Dharti Aba Bhagwan Birsa Munda in Dediapada, Gujarat.

नई दिल्ली। प्रधानमंत्रीने आज गुजरात के डेडियापाड़ा में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने 9,700 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न अवसंरचना और विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। यह कहते हुए कि मां नर्मदा की पावन धरा आज एक और ऐतिहासिक अवसर की साक्षी बन रही है, मोदी ने स्मरण किया कि 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की 150वीं जयंती इसी स्थान पर मनाई गई थी और भारत की एकता तथा विविधता का उत्सव मनाने के लिए भारत पर्व की शुरुआत हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के भव्य समारोह के साथ हम भारत पर्व की परिणति के साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने इस पावन अवसर पर भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पूरे जनजातीय क्षेत्र में स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले गोविंद गुरु का आशीर्वाद भी इस आयोजन से जुड़ा है। मंच से उन्होंने गोविंद गुरु को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बताया कि कुछ देर पहले उन्हें देवमोगरा माता के मंदिर में दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मैं एक बार फिर उनके चरणों में नमन करता हूं।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि डेडियापाड़ा और सागबारा क्षेत्र संत कबीर के उपदेशों से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि वे संत कबीर की भूमि वाराणसी से सांसद हैं और इसलिए संत कबीर का उनके जीवन में विशेष स्थान है। मंच से उन्होंने संत कबीर को अपनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

मोदी ने रेखांकित किया कि आज राष्ट्रीय विकास और जनजातीय कल्याण से जुड़ी कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया। प्रधानमंत्री जनमन और अन्य योजनाओं के तहत, इस क्षेत्र के एक लाख परिवारों को पक्के घर उपलब्ध कराए गए हैं। बड़ी संख्या में एकलव्य मॉडल स्कूलों और आश्रम विद्यालयों का भी उद्घाटन और शिलान्यास किया गया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि बिरसा मुंडा जनजातीय विश्वविद्यालय में श्री गोविंद गुरु पीठ की स्थापना की गई है। स्वास्थ्य, सड़क और परिवहन से जुड़ी कई अन्य परियोजनाएं भी आरंभ की गई हैं। उन्होंने इन विकास और सेवा कार्यों के लिए सभी को बधाई दी।

PM मोदी ने कहा कि 2021 में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को आधिकारिक तौर पर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव हजारों वर्षों से भारत की चेतना का अभिन्न अंग रहा है। जब भी राष्ट्र के सम्मान, स्वाभिमान और स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगा, जनजातीय समुदाय सबसे आगे खड़ा रहा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम इसी भावना का सबसे बड़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय के अनगिनत वीरों ने स्वतंत्रता की मशाल को आगे बढ़ाया। उन्होंने तिलका मांझी, रानी गाइदिन्ल्यू, सिद्धो-कान्हो, भैरव मुर्मू, बुद्धू भगत और अल्लूरी सीताराम राजू को जनजातीय समाज का प्रेरक व्यक्तित्व बताया। उन्होंने मध्य प्रदेश के टंट्या भील, छत्तीसगढ़ के वीर नारायण सिंह, झारखंड के तेलंगा खड़िया, असम के रूपचंद कोंवर और ओडिशा के लक्ष्मण नायक जैसे वीर व्यक्तियों का उल्लेख किया जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए असीम बलिदान दिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जनजातीय समुदाय ने अनगिनत विद्रोहों का नेतृत्व किया और राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए अपना खून बहाया।

यह उल्लेख करते हुए कि गुजरात में जनजातीय समुदाय के कई वीर देशभक्तों ने जन्म लिया है, प्रधानमंत्री ने भगत आंदोलन का नेतृत्व करने वाले गोविंद गुरु, पंचमहल में ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध लंबी लड़ाई लड़ने वाले राजा रूपसिंह नायक, एकी आंदोलन के प्रणेता मोतीलाल तेजावत और गांधीजी के सिद्धांतों को जनजातीय समाज तक पहुंचाने वाली दशरीबेन चौधरी की चर्चा की। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत अध्याय जनजातीय गौरव और वीरता से सुशोभित हैं।

मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय के योगदान को भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने बताया कि देश भर में कई जनजातीय संग्रहालय स्थापित किए जा रहे हैं। गुजरात के राजपीपला में 25 एकड़ में एक विशाल जनजातीय संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ का दौरा किया था और वहां शहीद वीर नारायण सिंह जनजातीय संग्रहालय का उद्घाटन किया था। उन्होंने रांची स्थित उस जेल का भी उल्लेख किया, जहां बिरसा मुंडा को बन्दी बनाया गया था, उसे जनजातीय संग्रहालय के रूप में विकसित किया जा रहा है।

जनजातीय भाषा संवर्धन केंद्र के लिए श्री गोविंद गुरु पीठ की स्थापना की घोषणा करते हुए, मोदी ने कहा कि यह केंद्र भील, गामित, वसावा, गरासिया, कोंकणी, संथाल, राठवा, नायक, डबला, चौधरी, कोकना, कुंभी, वारली और डोडिया जैसे जनजातीय समुदायों की बोलियों का अध्ययन करेगा। इन समुदायों से जुड़ी कहानियों और गीतों को संरक्षित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जनजातीय समाज के पास हज़ारों वर्षों के अनुभव से अर्जित ज्ञान है। उन्होंने कहा कि उनकी जीवन शैली में विज्ञान समाहित है, उनकी कहानियों में दर्शन है और उनकी भाषाओं में पर्यावरण की समझ है। उन्होंने कहा कि श्री गोविंद गुरु पीठ नई पीढ़ी को इस समृद्ध परंपरा से जोड़ने का काम करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस हमें करोड़ों जनजातीय भाइयों और बहनों के साथ हुए अन्याय की भी याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि छह दशकों तक देश पर शासन करने वाली विपक्षी पार्टी ने जनजातीय समुदायों को उनके हाल पर छोड़ दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जनजातीय क्षेत्र कुपोषण, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, अपर्याप्त शिक्षा और निम्न कनेक्टिविटी से जूझ रहे हैं। ये कमियां जनजातीय क्षेत्रों की पहचान बन गईं, जबकि पिछली सरकारें निष्क्रिय रहीं। इस पर बल देते हुए कि जनजातीय कल्याण हमेशा उनकी पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है, श्री मोदी ने जनजातीय समुदायों के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने और विकास का लाभ उन तक पहुंचाने के लिए सरकार के अटूट संकल्प की पुष्टि की।

PM मोदी ने इस बात पर बल देते हुए कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के शासनकाल में उनकी पार्टी ने जनजातीय मामलों के लिए एक अलग मंत्रालय की स्थापना की थी, कहा कि अटल जी के कार्यकाल के बाद, आने वाली सरकारों ने दस वर्षों तक इस मंत्रालय की उपेक्षा की। उन्होंने कहा कि 2013 में, तत्कालीन सरकार ने जनजातीय कल्याण के लिए केवल कुछ हज़ार करोड़ रुपये आवंटित किए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद, उन्होंने जनजातीय हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और मंत्रालय का बजट बढ़ाया। उन्होंने रेखांकित किया कि आज, जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय का बजट कई गुना बढ़ गया है।

PM मोदी ने यह बताते हुए कि एक समय गुजरात के जनजातीय क्षेत्रों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, इस बात पर बल दिया कि अंबाजी से लेकर उमरगाम तक, जनजातीय क्षेत्र में एक भी विज्ञान विद्यालय नहीं था। डेडियापाड़ा और सागबारा जैसे क्षेत्रों में, छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिलता था। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए, उन्होंने बताया कि उन्होंने डेडियापाड़ा से ही कन्या केलवणी महोत्सव का शुभारंभ किया था। उन्होंने बताया कि उस दौरान कई बच्चे उनसे मिलते थे—कुछ डॉक्टर बनने की, तो कुछ इंजीनियर या वैज्ञानिक बनने की इच्छा रखते थे। उन्होंने कहा कि वह उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें विश्वास दिलाते थे कि उनके सपनों को पूरा करने की राह में आने वाली हर बाधा को दूर किया जाएगा।

विद्यमान परिस्थितियों में बदलाव लाने के लिए किए गए अथक प्रयासों को रेखांकित करते हुए, मोदी ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, अब गुजरात के जनजातीय क्षेत्र में 10,000 से अधिक विद्यालय हैं। पिछले दो दशकों में, जनजातीय क्षेत्रों में दर्जनों विज्ञान, वाणिज्य और कला महाविद्यालय स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने जनजातीय बच्चों के लिए सैकड़ों छात्रावास बनाए हैं और गुजरात में दो जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित किए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन प्रयासों से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। उन्होंने याद किया कि कैसे बीस साल पहले, बच्चे आंखों में सपने लिए उनसे मिलते थे—कुछ डॉक्टर बनने की तो कुछ इंजीनियर या वैज्ञानिक बनने की आकांक्षा रखते थे। आज, उनमें से कई बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर और शोधकर्ता बन गए हैं। उन्होंने बल देकर कहा कि सरकार जनजातीय बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए दिन-रात काम कर रही है। पिछले पांच-छह वर्षों में ही, केंद्र सरकार ने देश भर में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए हैं। छात्राओं के लिए स्कूलों में आवश्यक सुविधाएं प्रदान की गई हैं। परिणामस्वरूप, इन विद्यालयों में नामांकन कराने वाले जनजातीय बच्चों की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

PM मोदी ने इस बात पर बल देते हुए कि जब जनजातीय युवाओं को अवसर दिए जाते हैं, तो वे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त कर लेते हैं, कहा कि उनका साहस, कड़ी मेहनत और क्षमता उन्हें परंपरा से विरासत में मिली है। उन्होंने रेखांकित किया कि आज खेल जगत एक स्पष्ट उदाहरण है, जहां जनजातीय युवा विश्व भर में तिरंगे का सम्मान बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां मैरी कॉम, थोनाकल गोपी, दुती चंद और बाईचुंग भूटिया जैसे नाम सुप्रसिद्ध थे, वहीं अब हर बड़ी प्रतियोगिता में जनजातीय क्षेत्रों से उभरते हुए एथलीट नज़र आते हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत की महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में विश्व कप जीतकर इतिहास रचा है और उस जीत में जनजातीय समुदाय की एक बेटी की अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि सरकार जनजातीय क्षेत्रों में नई प्रतिभाओं की पहचान करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए निरंतर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में खेल सुविधाओं का भी विस्तार किया जा रहा है।

इस बात पर बल देते हुए कि उनकी सरकार वंचितों को प्राथमिकता देने के विजन के साथ काम करती है, प्रधानमंत्री ने नर्मदा ज़िले का उदाहरण दिया, जिसे कभी पिछड़ा माना जाता था। उन्होंने कहा कि ज़िले को प्राथमिकता दी गई, इसे आकांक्षी ज़िला घोषित किया गया और आज इसने विभिन्न विकास मानकों पर उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस परिवर्तन से क्षेत्र के जनजातीय समुदाय को बहुत लाभ हुआ है। मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की कई योजनाएं सीधे जनजातीय बहुल राज्यों और वंचित वर्गों के लिए आरंभ की जाती हैं। 2018 में निशुल्क उपचार के लिए आयुष्मान भारत योजना के आरंभ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस योजना की शुरुआत झारखंड के रांची से हुई थी। आज, देश भर के करोड़ों जनजातीय भाई-बहन इस योजना के तहत 5 लाख रुपये तक के निशुल्क उपचार का लाभ प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर पहल भी जनजातीय बहुल छत्तीसगढ़ से आरंभ की गई थी और यह जनजातीय आबादी को उल्लेखनीय लाभ पहुंचा रही है।

इस बात पर बल देते हुए कि उनकी सरकार जनजातीय समुदायों में सबसे पिछड़े वर्गों को विशेष प्राथमिकता दे रही है, श्री मोदी ने रेखांकित किया कि आज़ादी के दशकों बाद भी, ऐसे क्षेत्र थे जहां बिजली, पानी, सड़क या अस्पताल जैसी सुविधाएं नहीं थीं। ऐसे क्षेत्रों के विकास के लिए, झारखंड के खूंटी से प्रधानमंत्री-जनमन योजना शुरू की गई थी। उन्होंने बताया कि इस पहल पर 24,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान भी पिछड़े जनजातीय गाँवों में विकास का एक नया अध्याय लिख रहा है। उन्होंने बताया कि देश भर के 60,000 से अधिक गांव इस अभियान से जुड़ चुके हैं। इनमें से हज़ारों गांवों को पहली बार पाइप से पेयजल मिला है और सैकड़ों गांवों को अब टेलीमेडिसिन सेवाएं भी मिल रही हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस अभियान के तहत ग्राम सभाओं को विकास की धुरी बनाया गया है। गांवों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, कृषि और आजीविका पर केंद्रित समुदाय-संचालित योजनाएं बनाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अभियान सिद्ध करता है कि दृढ़ संकल्प से असंभव लक्ष्य भी हासिल किए जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार जनजातीय जीवन के हर पहलू पर ध्यान देने के लिए एक व्यापक विजन के साथ काम कर रही है। उन्होंने बताया कि लघु वनोपजों की संख्या 20 से बढ़ाकर लगभग 100 कर दी गई है और वनोपजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया गया है। उन्होंने रेखांकित किया कि सरकार मोटे अनाज – श्री अन्ना – को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है जिससे जनजातीय समुदाय को लाभ हो रहा है। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि गुजरात में वनबंधु कल्याण योजना आरंभ की गई थी, जिसने जनजातीय आबादी को नई आर्थिक सुदृढ़ता प्रदान की। इसी से प्रेरित होकर अब जनजातीय कल्याण योजना शुरू की जा रही है।

यह उल्लेख करते हुए कि सिकल सेल रोग लंबे समय से जनजातीय समुदायों के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है, प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे निपटने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में औषधालयों, चिकित्सा केंद्रों और अस्पतालों की संख्या बढ़ाई गई है। सिकल सेल रोग से निपटने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जा रहा है और इस पहल के तहत देश भर के छह करोड़ जनजातीय भाई-बहनों की जांच की जा चुकी है।

शिक्षा की चर्चा करते हुए, मोदी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्थानीय भाषाओं में शिक्षा का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय बच्चे, जो पहले भाषाई बाधाओं के कारण पीछे रह जाते थे, अब स्थानीय भाषा में शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ रहे हैं और राष्ट्र के विकास में अधिक सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

गुजरात के जनजातीय समुदायों की समृद्ध कलात्मक विरासत पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने उनकी चित्रकला और कलाकृतियों को अद्वितीय बताया। मोदी ने कलाकार परेशभाई राठवा का उल्लेख किया, जिन्होंने इन कला रूपों को आगे बढ़ाया है, और कहा कि सरकार ने उन्हें पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि किसी भी समाज की प्रगति के लिए लोकतंत्र में सार्थक भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य जनजातीय समुदाय के सदस्यों को शीर्ष पदों पर पहुंचते और राष्ट्र का नेतृत्व करते देखना है। उन्होंने बताया कि आज भारत की राष्ट्रपति एक जनजातीय महिला हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और गठबंधन ने जनजातीय नेताओं को पार्टी और सरकार में शीर्ष पदों पर पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास किया है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय, ओडिशा में मोहन चरण माझी, अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू और नागालैंड में नेफ्यू रियो का उदाहरण देते हुए कहा कि कई राज्यों में जनजातीय नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने कई राज्य विधानसभाओं में जनजातीय अध्यक्षों की नियुक्ति की है। उन्होंने रेखांकित किया कि गुजरात के मंगूभाई पटेल वर्तमान में मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल अब उनके मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र के विकास में इन नेताओं की सेवा और योगदान अद्वितीय और असाधारण है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र की शक्ति से ओतप्रोत है। उन्होंने कहा कि इस मंत्र से पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों लोगों के जीवन में बदलाव आया है, राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ किया है और लंबे समय से उपेक्षित जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा में लाया है। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के पावन अवसर पर, प्रधानमंत्री ने सभी से इस मंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विकास में कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए। उन्होंने कहा कि यही धरती आबा को सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हम सब मिलकर आगे बढ़ेंगे और एक विकसित भारत के सपने को साकार करेंगे। इसी संकल्प के साथ, उन्होंने सभी को जनजातीय गौरव दिवस की शुभकामनाएं दीं।

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