नरेन्द्र मोदी ने सरकार के प्रमुख के रूप में अपनी सेवा के 25वें वर्ष में प्रवेश करते हुए भारत के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया है। वर्ष 2001 में आज ही के दिन गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से अपनी यात्रा का स्मरण करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के लिए उनका निरंतर प्रयास रहा है।
मोदी ने कहा कि उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सौंपी गई थी। उस वर्ष राज्य भीषण भूकंप से जूझ रहा था और उससे पहले के वर्षों में राज्य को एक महाचक्रवात, लगातार सूखे और राजनीतिक अस्थिरता का भी सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों ने लोगों की सेवा करने और नए उत्साह और आशा के साथ गुजरात के पुनर्निर्माण के संकल्प को और मज़बूत किया।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय मोदी को अपनी मां के वह शब्द याद आए कि उन्हें सदैव गरीबों के लिए कार्य करना चाहिए और कभी रिश्वत नहीं लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया था कि वे जो भी करेंगे, वह नेक इरादे से और कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति की सेवा करने के भाव से प्रेरित होगा।
गुजरात में अपने कार्यकाल पर विचार करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उस समय लोगों को लग रहा था कि राज्य फिर कभी उन्नति नहीं कर पाएगा। किसान बिजली और पानी की कमी की शिकायत कर रहे थे, कृषि मंदी की चपेट में थी और औद्योगिक विकास ठप था। उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयासों से गुजरात सुशासन का केंद्र बन गया। कभी सूखाग्रस्त राज्य, कृषि में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला राज्य बन गया, व्यापार का विस्तार विनिर्माण और औद्योगिक क्षमताओं में हुआ और सामाजिक एवं भौतिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिला।
मोदी ने कहा कि वर्ष 2013 में, जब देश विश्वास और शासन के संकट से जूझ रहा था, उन्हें 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था। उन्होंने कहा कि भारत की जनता ने उनके गठबंधन को प्रचंड बहुमत और उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया, जिससे नए विश्वास और उद्देश्य के युग का सूत्रपात हुआ।
मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों का साक्षी बना है। 25 करोड़ से ज़्यादा लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है और देश प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच एक उज्ज्वल स्थान के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि पूरे देश के लोगों, विशेषकर नारी शक्ति, युवा शक्ति और मेहनती अन्नदाताओं को अभूतपूर्व प्रयासों और सुधारों के माध्यम से सशक्त बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि आज लोकप्रिय भावना यह है कि भारत को सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाया जाए और यह ‘गर्व से कहो, यह स्वदेशी है’ के आह्वान में परिलक्षित होता है।
भारत की जनता के निरंतर विश्वास और स्नेह के लिए अपना आभार दोहराते हुए, मोदी ने कहा कि राष्ट्र की सेवा करना सर्वोच्च सम्मान है। संविधान के मूल्यों से प्रेरित होकर, उन्होंने विकसित भारत के सामूहिक स्वप्न को साकार करने के लिए और भी अधिक परिश्रम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।