सूत्रों का दावा – असली मरीजों से कराया इलाज, फर्जी कार्ड से उठाया सरकारी योजना का लाभ
ब्यूरों प्रभारी गिरजेश चौधरी
दैनिक अयोध्या टाइम्स बस्ती
बस्ती।जनपद के एक नामचीन निजी अस्पताल अनंता हॉस्पिटल का नाम इन दिनों एक गंभीर और संभावित फर्जीवाड़े के मामले में चर्चा में है। विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस अस्पताल में ऐसे असंख्य मामलों की जानकारी सामने आ रही है, जहाँ असली मरीजों से इलाज कराया गया, लेकिन उनके नाम पर आयुष्मान योजना के अंतर्गत फर्जी या अपात्र कार्ड लगाकर भुगतान की प्रक्रिया पूरी की गई।सूत्रों के मुताबिक, यह पूरा मामला योजनाबद्ध ढंग से किया गया घोटाले जैसा प्रतीत होता है। इलाज कराने वाले मरीज हकीकत में अस्पताल में भर्ती रहे, उनका इलाज भी हुआ, लेकिन जिन कार्डों से बिलिंग की गई वह या तो पूरी तरह जाली थे, अपात्र व्यक्तियों के नाम पर बने थे या फिर किसी दूसरे जिले की पात्रता में शामिल नामों को जोड़कर बनाए गए थे।कई जानकारों का कहना है कि आयुष्मान योजना के लाभ के लिए जरूरी दस्तावेजों में हेराफेरी कर, इलाज की वास्तविकता को बनाए रखते हुए भुगतान की वैधता को गुमराह किया गया। इसमें अस्पताल प्रबंधन की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता।सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि इस तरह की फर्जी बिलिंग के जरिए लाखों रुपए का भुगतान योजना से लिया जा चुका है, और मामला अभी पूरी तरह खुला नहीं है। यदि उच्चस्तरीय जांच हो तो आंकड़ा करोड़ों तक भी पहुँच सकता है।हालांकि इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, न ही अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने आई है, लेकिन योजना से जुड़े विभागीय सूत्र इस बात को लेकर चिंता में हैं कि योजना की निगरानी व्यवस्था कितनी कमजोर है कि इतने बड़े स्तर पर यह खेल चलता रहा।
कई जानकारों ने आशंका जताई है कि यह सिर्फ एक अस्पताल का मामला नहीं हो सकता। यह पूरे जनपद या सम्भवतः मंडल स्तर पर फैला एक सुनियोजित नेटवर्क हो सकता है, जिसमें कार्ड बनाने वाले, अस्पताल प्रबंधन, दलाल और अन्य हितधारकों की भूमिका हो सकती है।आयुष्मान भारत योजना का उद्देश्य गरीब, वंचित और जरुरतमंदों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मुहैया कराना है। लेकिन अगर यही योजना फर्जी दस्तावेजों और मिलीभगत के जरिए निजी अस्पतालों की कमाई का जरिया बन जाए, तो यह पूरे सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है।प्रशासनिक स्तर पर भी यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि इतने बड़े भुगतान के बावजूद किसी ने संदेह क्यों नहीं जताया? क्या योजना के सत्यापन और निगरानी तंत्र में खामियां हैं या जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज किया गया?फिलहाल इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय जनमानस और स्वास्थ्य महकमे में हलचल है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा और एक निष्पक्ष जांच कराकर सच को सामने लाने का प्रयास करेगा।