जुगनू गौतम
गाजियाबाद | सुशील कुमार जाटव के परिवार पर हुए जानलेवा हमले के मामले में अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति आयोग ने संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से 15 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी है | गौरतलब है कि गत 22 जून की अर्ध रात्रि के लगभग कल्लूपुरा निवासी सुशील कुमार पुत्र स्वर्गीय प्रेमचंद के आवास पर दो दर्जन से अधिक लोगों ने जानलेवा हमला किया था. इस हमले में शामिल लोग मोहल्ला पछादान की तरफ से कल्लूपुरा में घुसे थे.
दो दर्जन से अधिक यह हमलावर लाठी डंडों और धारदार हथियारों से लैस थे. हमलावरों ने कई लोगों पर जानलेवा हमला किया. सुशील कुमार इस हमले के दौरान अपने आवास में थे लेकिन वह हमलावरों से बच गए | सीसीटीवी फुटेज सहित वारदात की रिपोर्ट घंटाघर कोतवाली में कई लोगों के नाम के साथ दर्ज की गई लेकिन पुलिस ने इस मामले को ढीला छोड़ते हुए सिर्फ दो लोगों की गिरफ्तारी कर मामले को ठंडे बसते मे डाल दिया.
गिरफ्तारी न होने पर इस मामले को लेकर बसपा नेताओं ने जिलाधिकारी व पुलिस कमिशनर से दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की थी. किसी भी तरह की कार्यवाही न होने के बाद सुशील कुमार ने 30 जुलाई को भारत सरकार के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराई | शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग के सहायक निदेशक गुलशन कुमार पहाड़िया ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में जानकारी मांगी है पीड़ित के मामले में क्या कार्रवाई की गई, कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है और यदि पीड़ित को किसी तरह का मुआवजा दिया गया है तो वह कितना है.
आयोग ने 15 दिन के अंदर जिला प्रशासन से जवाब मांगते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 338 के अनुरूप पीड़ित के पक्ष में क्या किया गया है इसकी जानकारी तुरंत आयोग को दी जाए. ज्ञातव्य है कि इस मामले में पुलिस ने काफी ढीला रवैया रखा है और सीसीटीवी फुटेज में दर्जनों लोगों के दिखाई देने के बावजूद केवल दो लोगों को गिरफ्तार किया है |