सरसावा(अंजू प्रताप)। श्री प्राणनाथ ज्ञानपीठ के 19वें वार्षिकोत्सव का छठा दिन भी पूर्व दिनों की भांति ध्यान और योग साधना के साथ आरम्भ हुआ। जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं के मन को शांति और स्थिरता से भर दिया।
शुक्रवार को प्रातःकालीन सत्र में आयोजित संगीत-वाणी ज्ञान ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। बानिका प्रधान और शिखा सुमिति की विशिष्ट प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इसके उपरांत डॉ. प्रवीण ने अपने वक्तव्य में मानव जीवन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दुर्लभ अवसर केवल सांसारिक उलझनों में खोने के लिए नहीं, बल्कि प्रेम और आनंदस्वरूप परमात्मा को अंतःकरण में प्रतिष्ठित करने के लिए है। उन्होंने कहा कि जब मनुष्य क्षुद्रताओं से ऊपर उठता है। तभी जीवन सफल और सार्थक होता है।
ज्ञानपीठ के संस्थापक राजन स्वामी ने प्रवचन में परमात्मा प्राप्ति के लिए प्रेम की अनिवार्यता पर बल दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि केवल कर्मकांडों से परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती। इसके लिए हृदय को प्रेम की नौका में आरूढ़ करना आवश्यक है।
कार्यक्रम के दौरान पन्ना से आए लक्ष्मी कांत जी ने सभी को एकता और प्रेम के पथ पर अग्रसर होने का संदेश दिया।
यद्यपि वार्षिकोत्सव के समापन में अब केवल एक ही दिन शेष है, तथापि पूरे परिसर में भव्यता और उल्लास विद्यमान है। सुंदरसाथ के मध्य प्रेम, अनुशासन और एकत्व की झलक हर ओर देखी जा सकती है, जो इस आयोजन को और भी विशेष बना रही है।






