ब्यूरो चीफ विपिन सिंह चौहान फर्रूखाबाद
घास फूस की झोपडी ही इनका सहारा, अभी तक नहीं मिला किसी भी सरकारी योजना का लाभ देश और प्रदेश की सरकार लगातार गरीबों के हित में कार्य कर रही है। कहीं कोई गरीब अपनी जरूरत से वंचित न रह जाए और मिलने वाली सरकारी सहायता इन लोगों तक समय से पहुंच सके। इसके लिए कई तरह की योजनाएं चलाई गई। जिसमें खाद्यान्न योजना से लेकर आवास एवं रोजगार योजनाएं भी शामिल है। परंतु कुछ क्षेत्र एवं कुछ गरीब ऐसे भी हैं जहां तक इन योजनाओं की आवाज नहीं पहुंच पाई है या फिर इन्हें जानबूझकर वंचित कर दिया गया है। ऐसा ही एक मामला अमृतपुर थाना क्षेत्र के ग्राम मंझा की मडैया का है। यह गांव प्रतिवर्ष गंगा की बाढ़ की चपेट में आकर बर्बाद होता है। यहां के रहने वाले लोग गरीब हैं और गरीबी से जूझ रहे हैं। इनके जीवको पार्जन का साधन मजदूरी कृषि एवं पशुपालन है। यह लोग इन कार्यों से सिर्फ अपनी पेट की आग ही मुश्किल से बुझा पाते हैं। इन गरीबों तक आवास योजना का लाभ पहुंचना अत्यंत जरूरी है। इसी गांव के रहने वाले मुन्नू पुत्र मलिखे अभी तक आवास योजना से वंचित है। यह अपने नौ बच्चों के साथ टूटी-फूटी झोपड़ियो में और पॉलिथीन तानकर रहने पर मजबूर हैं। कई बार इन्होंने ग्राम प्रधान से लेकर संपूर्ण समाधान दिवस में भी अपनी फरियाद की। अधिकारियों के सामने अपनी समस्या को लेकर हाजिर हुए। लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी। जिसके चलते यह गरीब एक अदद पक्के कमरे के लिए तरस रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के चलते इस गरीब को कहीं से भी कोई राहत नहीं मिली और ना ही अभी तक आवास उपलब्ध कराया गया है। सर्वे करने वाली टीमें जाती हैं और ग्राम प्रधान सेक्रेटरी व लेखपाल के इशारे पर ही काम होता है। बाढ़ पीड़ित क्षेत्र के ऐसे गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं। इन गरीबों की आवाज को सरकार के कानों तक पहुंचाने का काम मीडिया ही करती है। परंतु क्या पता इस गरीब की आवाज को दबा दिया जाएगा या फिर आवास योजना के लाभ से इसे नवाजा जाएगा यह तो आगे आने वाला समय ही बताएगा।
