अमेरिकी रेगुलेटर्स ने मोटापे के इलाज के लिए वेगोवी नामक टैबलेट को मंज़ूरी दे दी है। एफडीए द्वारा रोजाना ली जाने वाली वेगोवी को स्वीकृति मिलते ही अमेरिकी बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। दूसरी ओर ये गोलियां भारतीय बाजार में भी आने लगी हैं। दरअसल, अमेरिका में दो कंपनियों के बीच मोटापे के इलाज के लिए अलग-अलग गोलियां और इंजेक्शन बाजार में लाने की होड़ चल रही है। इसी क्रम में नोवो नॉर्डिस्क ने वेगोवी टैबलेट पेश की है। इससे पहले कंपनी वेगोवी इंजेक्शन भी ला चुकी है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में 10 करोड़ से अधिक लोग लंबे समय से मोटापे से जूझ रहे हैं और प्रभावी इलाज की तलाश में हैं।
अब तक कंपनी इंजेक्शन ही उपलब्ध कराती थी। आम लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए टैबलेट विकसित की गई है। जल्द ही ये गोलियां व्यापक रूप से बाजार में उपलब्ध होंगी। जानकारों का मानना है कि इंजेक्शन के साथ टैबलेट आने से मोटापे के इलाज का बाजार काफी बड़ा हो जाएगा। कुछ समय पहले आए एक सर्वे में बताया गया था कि अमेरिका में हर आठ में से एक मोटे व्यक्ति ने इलाज के लिए इंजेक्शन लिया है। हालांकि इलाज बहुत महंगा होने के कारण लोग सस्ते और आसान विकल्प की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
भारत में भी धीरे-धीरे मोटापे के मामले बढ़ रहे हैं। यहां कई तरह की गोलियां उपलब्ध हैं, लेकिन अमेरिका जैसी प्रभावी दवाएं अब धीरे-धीरे भारत में भी आ रही हैं। कुछ डाक्टरों और विशेषज्ञों का मानना है कि ये गोलियां बड़े समुदाय तक पहुंच सकती हैं।
भारत, अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कई देशों में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या बहुत अधिक है, इसलिए इसका बाजार भी विशाल है। शोधकर्ताओं के अनुसार, नोवो नॉर्डिस्क की इस टैबलेट में 25 मिलीग्राम सेमाग्लूटाइड होता है, यही घटक वेगोवी और ओजेम्पिक इंजेक्शन तथा राइबेलसस में भी होता है। 2019 से मधुमेह के इलाज में भी इन गोलियों और इंजेक्शनों का उपयोग हो रहा है। नई गोलियों से मोटापा और उससे जुड़ी मधुमेह पर नियंत्रण संभव माना जा रहा है।
शोधकर्ता बताते हैं कि यह GLP-1 वर्ग की दवा है, जो शरीर में प्राकृतिक हार्मोन की नकल करती है। इससे भूख कम लगती है और पेट भरा होने का संकेत लंबे समय तक बना रहता है। भोजन का पाचन धीमा होता है, कैलोरी का सेवन घटता है और वजन कम होने लगता है। साथ ही ब्लड शुगर भी नियंत्रण में आता है।
क्लिनिकल ट्रायल में जिन लोगों को वेगोवी टैबलेट दी गई, उनका 15 महीनों में औसतन 13.6 प्रतिशत वजन घटा। वहीं प्लेसीबो लेने वालों में केवल 2.2 प्रतिशत कमी दिखी। इंजेक्शन से औसतन 15 प्रतिशत वजन घटता है, जबकि गोलियों से 13.6 प्रतिशत यानी परिणाम लगभग समान हैं। विस्कॉन्सिन के एक डाक्टर, जो इस ट्रायल में शामिल थे, ने रोजाना टैबलेट लेने से लगभग 20 किलो वजन घटाया। उनका कहना है कि भूख और बारबार खाने की इच्छा दोनों कम हो गईं।
एक अन्य मरीज ने बताया कि गोलियों से भूख पर इतना नियंत्रण हो गया कि कई बार भोजन न करने पर भी भूख महसूस नहीं होती थी।
एक अन्य कंपनी की दवा पर 17 महीनों का परीक्षण किया गया, जिसमें औसतन 11.2 प्रतिशत वजन घटा, जबकि प्लेसीबो से 2.1 प्रतिशत। विशेषज्ञ मानते हैं कि GLP-1 और GIP को लक्षित करने वाली ये दवाएं औसतन 21 प्रतिशत तक वजन घटाने में मदद कर सकती हैं।
हालांकि, अधिक उपयोग को लेकर चेतावनी भी दी गई है। अधिक मात्रा में लेने से दस्त और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आमतौर पर वेगोवी सुबह खाली पेट, भोजन से 30 मिनट पहले लेनी चाहिए। सही अंतराल और मात्रा जरूरी है, वरना साइड इफेक्ट बढ़ सकते हैं।
इंजेक्शन की तुलना में मौखिक दवाएं सस्ती होंगी। अब तक अमेरिका में इलाज की लागत करीब 1000 डालर प्रति माह तक थी। टैबलेट आने से कीमत घटकर लगभग 150 डालर प्रति माह होने की चर्चा है। जनवरी में व्यापक लांच के बाद सटीक कीमतें सामने आएंगी।
कुछ मरीज इंजेक्शन के बजाय टैबलेट पसंद करते हैं, जबकि कुछ साप्ताहिक इंजेक्शन को आसान मानते हैं। इंजेक्शन फोबिया वाले लोग टैबलेट को बेहतर विकल्प मान रहे हैं। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि दवा बंद करने पर वजन फिर बढ़ने लगा, जिससे दीर्घकालिक निर्भरता का जोखिम भी है।
कई लोगों का मत है कि यदि दवाएं और सस्ती 100 डालर या उससे कम हो जाएं तो वे नियमित रूप से लेने को तैयार हैं। इससे कंपनियों पर कीमतें नियंत्रित रखने का दबाव बढ़ेगा।
0 भारत में 14 करोड़ से अधिक लोग मोटापे से पीड़ित
मोटापा केवल पश्चिमी देशों की समस्या नहीं है। फास्ट लाइफस्टाइल और फास्ट फूड के कारण भारत में भी मोटापा, मधुमेह और लाइफस्टाइल बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 14 करोड़ से अधिक लोग मोटापे से ग्रस्त हैं। वयस्कों में लगभग 25 प्रतिशत लोग मोटापे की श्रेणी में आते हैं। इसके चलते मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्राल और हृदय रोग बढ़ रहे हैं।
पुरुषों में 23 प्रतिशत और महिलाओं में 24 प्रतिशत मोटापे से प्रभावित हैं। शहरों में समस्या अधिक है।
पिछले 30 वर्षों में शहरी क्षेत्रों में मोटापा पांच गुना बढ़ा है। चिंताजनक बात यह है कि अब बच्चों में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत में वेगोवी टैबलेट का बड़ा बाजार है। इंजेक्शन महंगे होने से पहले सीमित लोग ही ले पाते थे, लेकिन यदि टैबलेट सस्ती आईं तो शहरी इलाकों में मांग बढ़ सकती है। प्रतिस्पर्धा के कारण भारत में कीमतें पहले ही 37 प्रतिशत तक घट चुकी हैं, 2.4 mg डोज जो पहले करीब 25,000 रुपए था, अब 16,500 रुपए के आसपास है; 0.25 mg डोज 16,250 रुपए से घटकर 10,500 रुपए तक आ गया है। टैबलेट आने से कीमतें और कम होने की संभावना है।
वीरेंद्र बहादुर सिंह





