
ब्यूरो चीफ विपिन सिंह चौहान फर्रूखाबाद जन समस्याओं के त्वरित समाधान हेतु आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस एक बार फिर विभागीय लापरवाही और सुस्त कार्यशैली की पोल खोलता नजर आया। तहसील सदर के लिए आयोजित समाधान दिवस में कुल 101 शिकायतें दर्ज की गईं, परंतु सिर्फ तीन शिकायतों का मौके पर निस्तारण किया जा सका।यह समाधान दिवस ऑफिसर्स क्लब फतेहगढ़ में आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने की। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक आरती सिंह, मुख्य विकास अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप जिलाधिकारी सदर, तहसीलदार, लेखपाल, बिजली विभाग के अधिकारी, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, स्वास्थ्य विभाग सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।राजस्व विभाग सबसे ज्यादा घेरे में शिकायतों का यदि विभागवार विश्लेषण करें, तो सबसे अधिक शिकायतें राजस्व विभाग से जुड़ी रहीं, जिनकी संख्या 57 थी। इनमें अधिकांश मामले भूमि विवाद, वरासत, खारिज दाखिल और नापजोख से जुड़े रहे।पुलिस विभाग से 19 शिकायतें सामने आईं – जिनमें कानूनी सहायता में ढिलाई, FIR दर्ज न होना, दबंगई और जमीनी विवादों में पुलिस संरक्षण जैसे आरोप शामिल रहे।बिजली विभाग को लेकर 5 शिकायती प्रार्थनापत्र आए – अनियमित आपूर्ति, फॉल्टी मीटर, अधिक बिलिंग प्रमुख मुद्दे रहे।
विकास विभाग से जुड़ी 4 और अन्य विभागों से कुल 16 शिकायतें प्राप्त हुईं।कई शिकायतों की जानकारी लेकर तत्काल निस्तारण के लिए फील्ड पर सक्रियता बढ़ाने को कहा। उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि लापरवाही या हीलाहवाली पर व्यक्तिगत उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।जनता रही असंतुष्ट, कई शिकायतकर्ता मायूस लौटे समाधान दिवस में पहुंचे कई ग्रामीणों ने मीडिया से बातचीत में अपनी निराशा जाहिर की। एक शिकायतकर्ता ने बताया कि “मैं चार बार समाधान दिवस में आ चुका हूं लेकिन हर बार यही कहा जाता है कि जाँच होगी, रिपोर्ट बनेगी। अब तो थक चुका हूँ।कुछ वृद्ध और महिलाएं भी आवेदन लेकर घंटों लाइन में खड़ी रहीं, लेकिन उन्हें त्वरित सुनवाई नहीं मिल सकी। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि समाधान दिवस की व्यवस्थाओं में सुधार की ज़रूरत है।विश्लेषण: समाधान दिवस जनविश्वास की कसौटी पर खरा नहीं
संपूर्ण समाधान दिवस की अवधारणा आमजन की समस्याओं को एक ही मंच पर सुनकर त्वरित कार्रवाई की है, लेकिन यदि मौके पर 100 से अधिक शिकायतों में से केवल 3 ही निस्तारित हो सकें तो यह न केवल व्यवस्था पर सवाल है, बल्कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की धार को भी कुंद करता है।