नई तकनीक ने जहां इंसानी जीवन को आसान बनाया है, वहीं इससे जुड़े खतरे भी तेजी से सामने आ रहे हैं। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान डीडब्ल्यू हिन्दी की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि चैटजीपीटी और अन्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित साधनों का अनियंत्रित उपयोग भविष्य में गंभीर खतरे पैदा कर सकता है।
विकास और अविष्कार आज के युग के लिए जरूरी नहीं आवश्यक है। कहते हैं जो लोग जमाने के साथ नहीं चलते वह पीछे हो जाते हैं और आज की दुनिया में युग के सूरज को सलाम करने के लिए व्याकुल है इसी बात को ध्यान रखते हुए आज की आवश्यकता अविष्कार है लेकिन कहीं यह आविष्कार हमारे में श्राप न हो जाए इसका भी हमें ध्यान रखना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता चैटबॉट्स द्वारा दी गई जानकारी हमेशा सही नहीं होती। कई बार यह तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं, जिससे भ्रम फैलाने वाली सूचना (ग़लत जानकारी) का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं, विशेषज्ञों ने कहा कि लोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर अत्यधिक निर्भर हो रहे हैं, जिससे उनकी सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो सकती है।
निजता पर संकट
विशेषज्ञों ने चेताया है कि चैटबॉट्स से बातचीत के दौरान उपयोगकर्ताओं का निजी डाटा (व्यक्तिगत जानकारी) असुरक्षित हो सकता है। यह जानकारी कंपनियों के सर्वर पर जाती है, और भविष्य में जानकारी के लीक होने या साइबर अपराध की बड़ी घटनाओं को जन्म दे सकती है।
रोज़गार की चुनौती
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते प्रयोग से पत्रकारिता, शिक्षा, सूचना-प्रौद्योगिकी और रचनात्मक उद्योगों पर असर पड़ सकता है। कई तरह की नौकरियां भविष्य में खतरे में पड़ सकती हैं।
विशेषज्ञों की राय
तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रयोग बंद करने की बजाय उसके लिए कड़े नियम और पारदर्शिता जरूरी है। सरकारों और कंपनियों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि तकनीक का इस्तेमाल मानव कल्याण के लिए हो, न कि उसके खिलाफ।
निष्कर्ष :
चैटजीपीटी जैसी तकनीकें आज की दुनिया की जरूरत भी हैं और चुनौती भी। सही उपयोग से यह विकास का मार्ग खोल सकती हैं, लेकिन लापरवाही से गंभीर खतरे खड़े कर सकती हैं। उसको ध्यान में रखते हुए हमें अपनी सतर्कता और बुद्धिमत्ता पर भी आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए।