धारा 163 लागू मतगणना केंद्र के आसपास भीड़भार की अनुमति नहीं - एनसीआर की हवा दूषित प्रदूषण जानलेवा परिवहन विभाग ने कसी कमर सड़कों पर मुस्तैद - जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक - गाजियाबाद पहुंचें उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक - मोदीनगर में बंदरों से लोगों को नहीं कोई भी राहत,बाते दो माह में लगभग एक हजार लोग हुए शिकारधारा 163 लागू मतगणना केंद्र के आसपास भीड़भार की अनुमति नहीं - एनसीआर की हवा दूषित प्रदूषण जानलेवा परिवहन विभाग ने कसी कमर सड़कों पर मुस्तैद - जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक - गाजियाबाद पहुंचें उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक - मोदीनगर में बंदरों से लोगों को नहीं कोई भी राहत,बाते दो माह में लगभग एक हजार लोग हुए शिकार

सूचना एवं ज्ञान व्यक्ति और देश के विकास के लिए आवश्यक स्तम्भ

मनुष्य के जीवन में प्रेम तथा ज्ञान दोनों ही अत्यंत आवश्यक एवं उत्प्रेरक अंग है। प्रेम भावनात्मक तत्व है, जो मनुष्य को इंसान बनाता है, संवेदना और मानवता को जागृत करता है। ज्ञान की उत्कंठा या तार्किक क्षमता मनुष्य को निरंतर प्रगति की ओर ले जाती है।

EDITED BY: DAT BUREAU

UPDATED: Monday, September 1, 2025

मनुष्य के जीवन में प्रेम तथा ज्ञान दोनों  ही अत्यंत आवश्यक एवं उत्प्रेरक अंग है। प्रेम भावनात्मक तत्व है, जो मनुष्य को इंसान बनाता है, संवेदना और मानवता को जागृत करता है। ज्ञान की उत्कंठा या तार्किक क्षमता मनुष्य को निरंतर प्रगति की ओर ले जाती है। मनुष्य के जीवन में ज्ञान ही उसे मानवता के उत्कृष्ट शिखर पर ले जाता है, वह मनुष्य को पशुत्व से अलग रखता है।

मनुष्य ज्ञान की अनुभूति के कारण ही मुस्कुराता हंसता है, जबकि जानवर इसके अभाव में मूक बना रहता है, हंसता,मुस्कुराता नहीं है, इसलिए मुस्कुराइए, हंसीये, प्रेम करिए और ज्ञान प्राप्ति की ओर उन्मुख होते रहिए, तब ही जीवन सार्थक हो सकता है। प्रेम के बिना ज्ञान और अध्ययन मनुष्य को मशीन बना देता है। प्रेम और ज्ञान की अलग-अलग मीमांसा की गई है।

प्रेम, ज्ञान की अपेक्षा अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि प्रकृति में अधिक घुल मिलकर आधारभूत तत्व तो बनाता है ही,बल्कि प्रेम प्रत्येक जीव में विद्यमान होता है। परस्पर एक दूसरे की भाषा नासमझ पाने वाले जीव भी एक दूसरे से प्रेम की भाषा द्वारा मधुर संवाद कर सकते हैं। प्रेम सभी प्रकार के माननीय बंधनों से परे है।
जबकि ज्ञान प्राप्ति को मानवता में परम स्थान दिया गया है। प्राचीन भारतीय दर्शन एवं संस्कृति ने ज्ञान की महत्ता को महिमामंडित किया है और ज्ञान की प्राप्ति को सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ति के लिए एक आधारभूत कारण भी बताया है। किसी मशीन अथवा कंप्यूटर को किसी भी प्रेरणा की आवश्यकता नहीं होती वह मनुष्य द्वारा दिए गए निर्देशों का केवल पालन करता है।

मनुष्य को प्रेरणा की आवश्यकता होती है ताकि वह ज्ञान प्राप्ति का साधन बन सके और यह प्रेरणा प्रेम द्वारा ही मिलती है,जिससे वह प्रेम करता है। उसके लिए निरंतर सहायता व लाभ देने का प्रयास ज्ञान द्वारा ही करता है। ज्ञान बिना प्रेम के निरंकुश भी हो सकता है और समाज को हानि भी पहुंचा सकता है, किंतु प्रेम से युक्त ज्ञान का उपयोग वैश्विक मानव कल्याण के लिए किया जाता रहा है।

इतिहास में अनेक महापुरुषों ने अपने प्रेम, करुणा, ज्ञान से लोगों के जीवन क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं, और इतिहास की धारा को भी सकारात्मक रूप से आगे बढ़ाया है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के जननायक महात्मा गांधी जी का जीवन भी प्रेम रोग ज्ञान का अद्भुत संयोजन था,उनका अहिंसा और सत्याग्रह मानव मात्र वह विश्व के प्रत्येक जीव के प्रति प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है, इसके द्वारा उन्होंने संपूर्ण मानवता को प्रेम पूर्वक जीने का महान संदेश दिया है।

गांधीजी के सिद्धांतों में हिंसा का कोई स्थान नहीं था। वह अन्यायी व्यक्ति का प्रेम द्वारा हृदय परिवर्तन में विश्वास रखते थे, उनका कहना था कि ‘पाप से घृणा करो पापी से नहीं’ फल स्वरुप उन्होंने अपने प्रेम से भारतीय जनमानस के हृदय जीत लिया और अपने ज्ञान को तर्कशक्ति से अंग्रेजों को भारतीय जनमानस के सामने झुकने पर मजबूर कर दिया और हमने स्वतंत्रता प्राप्त की। महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन में अंगुलिमाल डाकू का हृदय परिवर्तन कर उसे महात्मा बना दिया था,उन्होंने ज्ञान व प्रेम के द्वारा उसका हृदय परिवर्तन कर दिया था।

इसी तरह जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया तब उन्होंने स्वयं को सूली पर चढ़ाने वालों के लिए ईश्वर से यही प्रार्थना कि’ ईश्वर इन्हें माफ कर देना इनको नहीं पता कि यह क्या करने जा रहे हैं’। इस तरह उन्होंने मानवता के सामने अपने प्रेम को ज्ञान का जो उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया हुआ अत्यंत दुर्लभ है आज संपूर्ण विश्व में प्रभु यीशु के अनुयायियों की संख्या सर्वाधिक है। भगवान श्रीराम ने प्रेम में वशीभूत होकर ही शबरी के जूठे बेर भी खा लिए थे, जबकि श्री राम सर्वाधिक ज्ञान में आदर्श मनुष्य थे।
एक अच्छे और सार्थक जीवन के लिए प्रेम तथा ज्ञान दोनों का संबंध एवं समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू हैं। अकेला ज्ञान तथा अकेला प्रेम सदैव सार्थक नहीं हो सकता है। रावण ज्ञानी पुरुष था किंतु विध्वंस कारी भी था उसने प्रेम के अभाव में सिर्फ ज्ञान के चलते अपने कुल को नष्ट करवा दिया था। प्रेम तथा ज्ञान के सदुपयोग से अच्छे जीवन का पथ प्रदर्शन भी किया जा सकता है।

इससे हम केवल परिवार व्यक्ति या समाज ही नहीं बल्कि राष्ट्र के स्तर पर भी आत्मसात कर राष्ट्र को वैश्विक महानता की ओर ले जा सकते हैं। वर्तमान में हम संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप सामाजिक जीवन को सफलतापूर्वक संचालित करने में सक्षम है। आज हमारे सामने पर्यावरण संतुलन वैश्विक अपन गरीबी जैसी अनेक समस्याएं मौजूद हैं।

हम सभी मूक प्राणियों वनस्पति आदि के प्रति ज्ञान का उपयोग दिखाकर उनके साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार कर समस्या का समाधान कर सकते हैं। आधुनिक तकनीक से अर्जित ज्ञान के उपयोग इनके संरक्षण में करने में हम सक्षम भी हैं। अतः प्राचीन काल से मान्यता रही है कि सार्थक, सफल, एवं प्रेरणादाई जीवन के लिए प्रेम तथा ज्ञान का समन्वय कारी सदुपयोग एक आवश्यक तत्व है, इसके अभाव में जीवन कितना सार्थक सफल और मार्गदर्शी नहीं हो सकता है।
संजीव ठाकुर,चिंतक

खबरें और भी

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिले