अगर आप बीमार है, और इलाज ढूंढ रहे हैं तो आपको अपनी बीमारी पर चारो तरफ से वार करने की
आवश्यकता है। कहने का तात्पर्य ये है कि, जब भी आपको मामूली बुखार, या सर्दी-खांसी होता है तो ,आप
डॉक्टर के पास जाकर एलोपैथी दवाई ले आते हैं। और तीन-चार दिन में ठीक हो जाते हैं। उसके बाद फिर उसी
रूटीन लाइफ में आ जाते हैं। परंतु वह तीन-चार दिन भी जब आप बीमार हुए थे तब आपका शरीर तो अंदर से
कमजोर हो गया और फिर कुछ दिनों बाद वापस वही सर्दी खांसी आपको लौट कर आएगी। एलोपैथी तुरंत
आराम तो दे देती है पर वो आपके मर्ज को सिर्फ दवा कर रखती हैं उसे पूरी तरह से ठीक नहीं करती। ठीक
तो आपके शरीर को खुद आपका शरीर ही करता है। इसलिए अगर किसी भी बीमारी का आप जड़ से इलाज
चाहते हैं तो अपनी दैनिक जीवन चर्या में कुछ चीजों को आपको शामिल करना होगा।
व्यायाम-प्राणायाम बने जीवन का हिस्सा
रोज प्रातः हल्का पैदल चलना या कुछ व्यायाम अवश्य करना चाहिए। उसके बाद मानसिक स्वास्थ्य के लिए
प्राणायाम भी अवश्य करें। यह हो गया शारीरिक और मानसिक व्यायाम। ये न केवल आपकी ओबेसिटी पर
प्रहार करेगा बल्कि आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म भी बढ़ाएगा।
भोजन को चुनने में रखे सावधानी
आपको अपने भोजन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। हफ्ते में अगर आप दो दिन तला भुंजा खा रहे हैं
तो 4 दिन सादा भोजन करे। हो सके तो हफ्ते में एक दिन 15 से 20 घंटे का उपवास अवश्य करें। इसके
पश्चात भोजन में आप क्या ग्रहण कर रहे हैं, उस पर भी आपको ध्यान देना चाहिए। क्योंकि,जो अनाज आप
खा रहे हैं वह विभिन्न तरह के रासायनिक छिड़काव होने के बाद आपको प्राप्त हो रहा है। अगर आप उसे खा
रहे हैं तो बीमारियों को खुद निमंत्रण दे रहे हैं। इसके विपरीत यदि आप जैविक खेती के द्वारा उत्पन्न कीटनाशी
मुक्त अनाज जिसको कि आप ऑर्गेनिक कहते हैं वह खा रहे हैं, तो उसके द्वारा बहुत सी बीमारियों की
संभावनाओं को तो आपने वैसे ही दूर कर दिया है। क्योंकि “जैसा खायेंगे अन्न वैसा ही रहेगाआपका मन”
कीटनाशी युक्त भोजन आपके पेट में जाकर आपको नुकसान ही पहुंचाता है, आपके शरीर में यूरिया की मात्रा
को बढ़ा देता है। किडनी, लीवर की समस्याएं बढ़ाने वाला है। साथ ही साथ कई तरह के कैंसर सेल के विकास
में भी यह कीटनाशी सहायता प्रदान करते हैं। इसलिए कोशिश करें कि भले थोड़ा महंगा अनाज खरीदे पर
ऑर्गेनिक अनाज ही खरीदे और खाए। कीटनाशक युक्त अनाज और सब्जियां पाचन में भी अधिक समय लेते
हैं। और वह जितने समय तक आपके शरीर के अंदर के फंक्शन में सफर करते रहते हैं,उतना ज्यादा उनके
हार्मफुल इफेक्ट आपके शरीर को होते हैं जिनमें कब्ज, एसिडिटी की समस्या तो आम बन गई हैं।
भोजन पकाने के बर्तनों पर भी दे ध्यान
पीतल, तांबे के बटुए में बना हुआ भोजन ही खाएं। पीतल के बटुए को भीतर से रांगा की पॉलिश
करवा लें इससे दही मट्ठेका भी अगर आप प्रयोग करके कुछ बना रहे हैं तो वह नुकसान नहीं करेगा। साथ ही
एल्युमिनियम के बर्तनों को अपने किचन से निकाल दीजिए। बिल्कुल बहिष्कृत कर दीजिए। चाहे कढ़ाई हो,
कुकर हो या भगोनी हो। क्यूंकि, एल्युमिनियम में ऐसा तत्व पाया जाता है जो आपकी याददाश्त को प्रभावित
करता है और यह धीरे-धीरे आपके भूलने की प्रवृत्ति को बढ़ता जाता है। हमारे देश में पहले एल्युमिनियम का
उपयोग नहीं किया जाता था। पर जब अंग्रेज भारत आए तो अपने साथ एल्यूमीनियम ले कर आए और उसका
कारण ही यही था कि भारत के लोग जो इतने बुद्धिमान और सृजनशील थे तो इनके दिमाग को सुस्त करके
इन पर राज कैसे किया जाए। इसलिए अंग्रेजों ने एल्युमिनियम के बर्तनों का चलन भारत में बढ़ा दिया । सस्ता
होने के कारण लोग उन्हें खूब खरीदने भीलगे। अंग्रेज स्वयं तो पीतल, तांबे और सोने, चांदी के बर्तन उपयोग
करते थे। कांच के और चीनी मिट्टी के बर्तन उपयोग करते थे। पर भारतीयों को उनके पीतल और कांसे से
उन्होंने धीरे-धीरे दूर कर दिया। आज लगभग हर घर में आपको एल्युमिनियम के कढ़ाई, कुकर आसानी से
देखने मिल जाएंगे जो कि आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है ।
एलोपैथी दवाइयों का उपयोग करें सीमित
अगर आप स्वस्थ रहना चाहते है तो एलोपैथिक दवाइयो से भी थोड़ी दूरियां बना लें । थोड़ी बहुत सर्दी-खांसी
के इलाज के लिए दो या तीन दिन तक तो आप कोई भी दवाई ना खाएं घर पर ही बना तुलसी-अदरक का
काढ़ा पीए,जिसमें हल्दी-गुड़ का उपयोग भी कर सकते हैं। विटामिन सी युक्त पदार्थ नींबू , मौसंबी , आंवला का
भी प्रयोग करते रहना चाहिए। जो भी जिस सीजन में आपको उपलब्ध हो।
इस तरह से घरेलू उपाय कीजिए। यदि बहुत अधिक बड़ी कुछ समस्या है जिसका घर पर इलाज संभव नहीं है
उसके लिए ही एलोपैथी की तरफ जाए कहने का तात्पर्य ये है की, जरा सा सर दर्द हुआ थोड़ा बॉडी एक हो
रहा है, थोड़ी सर्दी खांसी हो गई फटाफट एलोपैथी गोली खा ली ये कितना आसान हैं पर इससे आपको एक या
दो दिन में आराम तो मिल जाएगा पर उसके जो साइड इफेक्ट होंगे वह आपकी बॉडी के जो इंटरनल ऑर्गन्स
है, उनको,आपकी नसों को ब्लॉक करने में और अन्य दूसरे बीमारियों को जनित करने में अपना योगदान निभाते
रहेंगे। इसलिए जितना हो सके एलोपैथी से परहेज कीजिए अगर आप युवा है, बच्चे हैं तो आप पूरी तरह से
एलोपैथी को ना कर सकते हैं। आपके शरीर में खुद अपने आप को इम्यून कर लेने की क्षमता होती है।
पीने के पानी पर भी दें ध्यान
पानी से ही हमारा शरीर बना है और हमारे शरीर में पानी की मात्रा ही सबसे अधिक होती हैं। सो पीने
के लिए हमेशा नेचुरल पानी का ही उपयोग करना चाहिए। प्लास्टिक की बोतलों में अगर पानी आप ले रहे हैं
तो पहले इसे मटके में डालिए और उसके बाद उपयोग कीजिए और अधिक शुद्ध करना चाहते हैं तो ठंड के
समय में तांबे-पीतल के घड़े में पानी राखिए इसके भीतर एक चांदी का सिक्का डाल दीजिए और गर्मियों के
समय में मिट्टी के घड़े में पानी रखिए और इसके अंदर एक तांबे का और एक चांदी का सिक्का डाल दीजिए
इसके बाद जो आप यह पानी पियेंगे तो यह पूरी तरीके से शुद्ध पानी होगा । जो आपके शरीर में जाएगा।
आर.ओ. के पानी का पी.एच.भी समय-समय पर चेक करवाते रहें।
ऊपर जो लिखा है आपको बस इतना ही करने की आवश्यकता है, यह सब कार्य आपके शरीर को इतना
मजबूत बना देंगे कि, आपका शरीर छोटी-बड़ी बीमारियों से खुद ही अपने आप को इम्यून कर लेगा और आपको
कभी भी किसी भी दवाई की जरूरत नहीं पड़ेगी तथा बड़ी से बड़ी बीमारी से भी आपका शरीर बचा रहेगा।
डॉ. अंशुल उपाध्याय