
( दैनिक अयोध्या टाइम्स)
बरेली!किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में डीएपीएससी परियोजना के तहत विभिन्न गांवों से आए किसानों को बैकयार्ड मुर्गी पालन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ जगबीर सिंह त्यागी ने बताया कि उन्नत देसी नस्ल की मुर्गियां सालभर में लगभग 200 अंडे देती हैं। ये मुर्गियां रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी श्रेष्ठ होती हैं और इन्हें घर के पीछे के खाली स्थान में आसानी से पाला जा सकता है। इन पर खर्च भी न्यूनतम आता है। डॉ मतीन अंसारी ने बताया कि मुर्गियों को हरी पत्तियां व सहजन के पत्ते खिलाना लाभकारी होता हैl जिससे दाने का खर्च घटता है और अंडों की गुणवत्ता व उत्पादन बढ़ता है। परियोजना प्रभारी डॉ. जगबीर सिंह त्यागी ने सभी किसानों को बैकयार्ड मुर्गी पालन अपनाने के लिए प्रेरित किया और भरोसा दिलाया कि भविष्य में अच्छे परिणाम देने वाले किसानों को संस्थान की ओर से हरसंभव सहायता दी जाएगी। बैकयार्ड मुर्गी पालन करने से किसान सालाना रुपए 35000 से ₹40000 की आमदनी कर सकता है। एवं बताया कि मुर्गियों को ऐसा आहार दें जो फंगस और कीड़ों से मुक्त हो।आहार में नमी की मात्रा को नियंत्रित करें। पुराना और बासी आहार न खिलाएं।आहार को सीधे जमीन पर रखने से बचें। संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि बैकयार्ड मुर्गी पालन सबसे सस्ता उद्यम है, जिससे अंडा जैसे उच्च प्रोटीनयुक्त आहार की प्राप्ति होती है। अंडे में मौजूद विटामिन एवं मिनरल्स शरीर में आसानी से पच जाते हैं और पोषण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी होते हैं। मुर्गी पालन एवं पशुपालन में किसानों की बहुत आगे बढ़ाने की संभावना है मुर्गियों में होने वाली बीमारियां एवं उसके रोकथाम के बारे में विस्तार से बताया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में चयनित 120 किसानों को 20 उन्नत देसी नस्ल एवं 1 महीने की पाली हुई मुर्गियां और मुर्गे, 25 किलो दाना, 120 दाना-पानी के बर्तन और 120 ड्रम प्रदान किए गए।
इस अवसर पर तकनीकी अधिकारी जयदीप अरोड़ा सहित गांव गिदौली , बांस बोझ, धीरपुर मुड़िया एवं चौन्डेरा के 150 किसान उपस्थित रहे।